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पिछले साल की तुलना में इस बार धान का उठाव जल्दी हो रहा है। दो माह पहले तक महज 3 लाख 84 हजार क्विंटल धान का उठाव हुआ था लेकिन अब 28 लाख 28 हजार 192 क्विंटल धान का उठाव हो चुका है। हालांकि 16 लाख 83 हजार 320 क्विंटल धान अभी भी समितियों व संग्रहण केंद्र में रखा हुआ है। चावल की मिलिंग में भी जिला प्रदेश में पहले नंबर पर है। लेकिन पिछले साल खरीदकर मोपका संग्रहण केंद्र में रखे धान का हिसाब अधिकारियों के पास नहीं है।
वे रजिस्टर देखकर ही कुछ बताने की बात कह रहे हैं। धान खरीदी का लक्ष्य 45 लाख 32 हजार 295 क्विंटल था लेकिन खरीदी हुई 45 लाख 11 हजार 422 क्विंटल। यानी लक्ष्य से 20873 क्विंटल कम खरीदी हुई। प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान खरीदना था और इस बार 1 लाख 6 हजार 441 किसानों ने पंजीयन कराया। इनमें से 4450 ने अंत तक धान नहीं बेचा। कुल 1 लाख 1 हजार 986 किसानों ने धान बेचा।
पिछले साल गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला शामिल था। 48 लाख 28 हजार 29 क्विंटल धान खरीदा गया था। इस बार दोनों जिलों में अलग अलग खरीदी हुई। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला के 13 हजार 423 किसानों ने 7 लाख 49 हजार 72 क्विंटल धान बेचा। इसे व बिलासपुर में हुई खरीदी को मिलाकर 52 लाख 60 हजार 494 क्विंटल धान खरीदा गया जो कि पिछले साल से 4 लाख 32 हजार 462 क्विंटल ज्यादा है।
धान खरीदी के बाद सबसे बड़ी चुनौती धान के समय पर उठाव को लेकर है। हालांकि इस सप्ताह पांच लाख क्विंटल से अधिक धान का उठाव किया गया। यानी उठाव की गति अच्छी है। अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में बिलासपुर जिला उठाव के मामले में तीसरे नंबर पर है जबकि चावल जमा करने में पहले नंबर पर है। लेकिन पिछले साल ऐसा नहीं था।
मोपका केंद्र में उग आई थी झाड़ियां बारिश में भीगता रहा धान
मोपका संग्रहण केंद्र में शुरू से ही बदइंतजामी रही। पांच माह पहले जिले के संग्रहण केंद्रों में 7.30 लाख क्विंटल से भी ज्यादा धान अव्यवस्थित रूप से रखा गया था। इसमें सबसे ज्यादा खराब हालत में मोपका संग्रहण केंद्र में धान रखा गया था। भास्कर ने ग्राउंड रिपोर्ट कर धान के खराब होने की जानकारी दी थी।
यह भी बताया कि अधिकारी सितंबर 2020 तक धान के उठाव की बात करते रहे लेकिन नवंबर तक उठाव पूरा नहीं हुआ। वहां जगह-जगह पानी भरा हुआ था। कोरोना के बहाने संग्रहण केंद्रों में धान के उठाव में बड़ी लापरवाही सामने आई। नए सीजन में धान खरीदी के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है और पुराने सीजन का धान खराब होता रहा। अब भी यहीं स्थिति है। यहीं वजह है कि मोपका केंद्र को राज्य शासन को बंद करना पड़ा।
पुराना धान की अभी जानकारी नहीं-राठौर : मार्कफेड के डीएमओ गजेंद्र राठौर ने बताया कि प्रदेश में धान उठाव में बिलासपुर तीसरे नंबर पर है। अरवा चावल जमा करने में हम काफी आगे है। जितना डीओ कटा है, उसके हिसाब से 95 फीसदी चावल जमा हो चुका है। मोपका संग्रहण केंद्र में कितना पुराना धान रखा है, उसकी जानकारी रजिस्टर देखकर ही बता सकूंगा।
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