छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के जंगल में एक बार फिर करंट लगाकर आठ जंगली सुअरों को मार दिया गया। मामला सामने आने के बाद वन विभाग की टीम ने सुअर और उसके मांस को जब्त किया है। वहीं, जंगल में करंट लगाने वाले छह ग्रामीणों को गिरफ्तार कर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। इस मामले में दो शिकार फरार बताए जा रहे हैं। मामला सीपत थाना क्षेत्र के सीपत वन सर्किल का है।
जानकारी के अनुसार सीपत वन परिक्षेत्र में आए दिन जंगली सुअरों के साथ ही चीतल और तेंदुए का शिकार होता है। इसी सर्किल से लगा हुआ ठरकपुर गांव है, जहां खेतों में फसल लगाए गए हैं। बुधवार की रात ग्रामीणों ने यहां जंगली सुअर मारने के लिए करंट बिछाया था। इस दौरान एक साथ आठ सुअर करंट की चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई।
सुअरों को उठाकर ले गए ग्रामीण और काटने लगे मांस
जंगली सुअरों की करंट से मौत होने के बाद तड़के ग्रामीण वहां पहुंचे और बिजली तार से करंट डिस्कनेक्ट कर सुअरों को उठाकर ले गए। ग्रामीण सुअरों के मांस को काट रहे थे। गांव वालों ने इसकी जानकारी वन विभाग की टीम को दे दी। खबर मिलते ही वन विभाग की टीम ने मौके पर दबिश दी, जहां उन्होंने आधा दर्जन ग्रामीणों को दबोच लिया।
प्लाट मालिक बोला- फसल बचाने के लिए लगाया था करंट
वन विभाग की टीम ने पूछताछ कर जानकारी जुटाई, तब पता चला कि नागेश्वर पटेल के प्लॉट में करंट लगाया गया था। टीम ने उसे पकड़कर पूछताछ की, तब प्लॉट में काम करने वाले इतवार सिंह का नाम सामने आया। पूछताछ में यह भी पता चला कि जंगली सुअरों को इतवार सिंह के साथ ही नारायण सिंह, बाबू लाल पटेल, गैतराम धनवार, लक्ष्मण धनवार व प्लॉट का मालिक नागेश्वर पटेल एक मकान में ले गए और उन्हें काट रहे थे। इस दौरान प्लॉट मालिक नागेश्वर ने बताया कि जंगली सुअर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे थे, जिसकी सुरक्षा के लिए उसने करंट लगाया था।
170 किलो मांस और पांच सुअर बरामद
सभी ग्रामीण सूअरों को काटकर मांस को इकट्टा कर रहे थे। पकड़े गए ग्रामीणों ने तीन जंगली सुअरों को काटकर 70 किलो मांस निकाल लिए थे। मौके पर पांच मृत जंगली सुअर मिले। उनके पास से टंगिया, चापड़ और करंट लगाने के लिए रखे 100 मीटर जीआई तार भी बरामद किया गया है। सभी आरोपियों के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है।
दो ग्रामीण हो गए फरार, तलाश में जुटी टीम
पकड़े गए ग्रामीणों से पूछताछ में यह भी पता चला कि उनके साथ दो अन्य ग्रामीण भी थे, जिन्हें वन विभाग की टीम के आने की भनक लग गई और दोनों फरार हो गए। टीम ने उनकी जानकारी जुटा ली है और दोनों फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है।
करंट लगाकर तेंदुए का भी किया था शिकार
करीब आठ माह पहले सीपत वन परिक्षेत्र से लगे सोंठी सर्किल बिटकुला में तेंदुए की लाश मिली थी। वन विभाग और पुलिस की टीम ने जांच की, तब पता चला कि तेंदुए का शिकार भी करंट लगाकर किया गया था। तेंदुए के शव से नाखून और दांत गायब मिले थे। इस केस की जांच तेंदुए के शव का पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसकी मौत करंट से हुई थी। जांच के बाद वन विभाग की टीम ने शिकार करने वाले पांच ग्रामीणों को गिरफ्तार किया था। जिन्होंने पूछताछ में बताया कि जंगली सुअर का शिकार करने के लिए उन्होंने करंट लगाया था। उसमें गलती से तेंदुआ फंस गया और उसकी मौत हो गई। तेंदुए की मौत के बाद घबराए ग्रामीणों ने उसके शव को जंगल में फेंक दिया था।
आए दिन हो रहा शिकार, बेसुध रहते हैं विभाग के अफसर
तेंदुए की लाश मिलने के बाद वन अफसरों की नींद खुली। जांच के दौरान पता चला कि ग्राम अदराली निवासी बलदेव सिंह पिता अंजोर सिंह और रहस राम पटेल पिता सोहनू पटेल ने मिलकर जंगली सुअर का शिकार करने के लिए कुछ दिन पहले करंट लगाया था। उन्होंने जंगली सुअर का शिकार भी किया था। उनके घर की तलाशी लेकर टीम ने जंगली सुअर के अवशेष जब्त किए। वन विभाग ने उन्हें भी गिरफ्तार किया था। दरअसल, सीपत और सोंठी सर्किल में न तो मैदानी अमला जंगल की सुरक्षा करते और न ही अफसर कभी जंगलों में जाते हैं, जिसके कारण क्षेत्र में आए दिन वन्य प्राणियों का शिकार होता रहता है।
जंगल में बेधड़क हो रहा शिकार, देखने भी नहीं जाते वनकर्मी
सीपत और सोंठी सर्किल में जंगली सुअर के साथ ही अन्य वन्य प्राणियों की शिकार की गई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सीपत क्षेत्र में दो साल पहले जंगली सुअर का शिकार करने वाला ग्रामीण खुद करंट की चपेट में आ गया था और उसकी मौत हो गई थी। इस तरह से जंगल में लगातार करंट लगाकर शिकार किया जा रहा है। लेकिन, वनकर्मी यहां देखने भी नहीं जाते। तेंदुए की लाश नहीं मिलती, तब वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को शिकार की भनक भी नहीं लग पाती। दरअसल, जिन अफसरों को जिम्मेदारी दी गई है वहां के SDO सुनील कुमार बच्चन और रेंजर पल्लव नायक बिलासपुर मुख्यालय में ही जमे रहते हैं। इसके चलते डिप्टी रेंजर और निचले स्तर के वनकर्मी भी जंगलों में पेड़ों और वन्य प्राणियों की सुरक्षा नहीं करते।
बेधड़क होती है अवैध कटाई
सीपत और सोंठी क्षेत्र कोरबा के सीमावर्ती इलाके से जुड़ा हुआ है। ऐसे में यहां जंगलों में बड़े पैमाने पर इमारती लकड़ियों की तस्करी और अवैध कटाई भी धड़ल्ले से चल रही है। कोरबा और जांजगीर-चांपा जिले के लड़की तस्कर यहां अवैध कटाई करने आते हैं।
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