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सहकारी केंद्रीय बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय को उनके कार्यकाल में बैंक से कितना भत्ता दिया गया है। इसकी जानकारी लोक आयोग ने कुछ महीना पहले बैंक प्रबंधन से मांगी है। इसके जवाब में सीईओ अनूप अग्रवाल ने पत्राचार के जरिए सहकारिता के अवर सचिव को लोकायोग को भेजा है।
तीन पन्नों के जवाब में कब-कब कितने पैसों का भुगतान किया गया है। इसकी जानकारी दी गई है। गौरतलब है कि बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय और बाकी अधिकारियों की जांच चल रही है। कई जगह इसकी शिकायतें हुई हैं। इन शिकायतों में वर्ष 2014-2015 के बीच 106 विभिन्न पदों पर भर्ती में गड़बड़ी। इसमें 15-15 लाख रुपए लेकर अपात्रों को भर्ती करने कराने का आरोप है। सभी शाखाओं के लिए तारपोलिन व सुतली खरीदकर समितियों को दे दिया और समिति के खाते से रकम निकाल कर खरीदी एजेंसी को भुगतान कर दिया गया।
2010-11 व अन्य वर्षों में नमी मापक यंत्रों की खरीदी कर बिल की रकम समितियों के रिवाल्विंग व सेविंग खाते से डेबिट कर एजेंसी को भुगतान कर गड़बड़ी की शिकायत है। समिति के संचालक मंडल से इसकी सहमति भी नहीं ली गई थी। विज्ञापन, बैनर, पोस्टर व चेक वितरण समारोहों के लिए धान खरीदी केंद्रों के लिए मिले प्रासंगिक व प्रशासनिक खर्च की रकम को नियम विरुद्ध खर्च किया।
समितियों के खाते से रकम डेबिट कर समिति को नुकसान पहुंचाया। कोरबा के सोहागपुर में 1.10 करोड़ रुपए का धान घोटाला। सहकारी बैंक की शाखाओं में कर्मचारियों की वरिष्ठता को ध्यान में रखे बगैर नियम विरुद्ध जूनियर को सीनियर कर्मचारियों के स्थान पर पदस्थ करने की शिकायतें हैं। इन मामलों में जांच जारी है। फिलहाल लोकायोग ने भत्ते की जानकारी मांगी है, जिसमें सीईओ अनूप अग्रवाल ने जवाब भेजा है।
पॉजिटिव- कुछ रचनात्मक तथा सामाजिक कार्यों में आपका अधिकतर समय व्यतीत होगा। मीडिया तथा संपर्क सूत्रों संबंधी गतिविधियों में अपना विशेष ध्यान केंद्रित रखें, आपको कोई महत्वपूर्ण सूचना मिल सकती हैं। अनुभव...
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