रेलवे ने छत्तीसगढ़ से होकर चलने वाली 42 ट्रेनों में एक्सट्रा कोच लगाया है। लेकिन, इसके बाद भी यात्रियों की समस्याएं कम नहीं हो रही है। फेस्टिव सीजन के बाद अब विंटर सीजन में ट्रेनों में कंफर्म बर्थ के लिए मारामारी हो रही है। ऐसे में जरूरी काम से जाने वाले यात्रियों को टॉयलेट के पास बैठकर सफर करना पड़ रहा है। लंबी दूरी के यात्रियों को ज्यादा दिक्कतें हो रही हैं।
नवरात्रि के साथ ही दीपावली और छठ पर्व से ही ट्रेनों में यात्रियों की डिमांड बढ़ गई थी। इसके चलते लंबी दूरी के ट्रेनों में यात्रियों को कंफर्म बर्थ नहीं मिल रहे थे। स्थिति यह थी कि वेटिंग लिस्ट 250 से 300 तक पहुंच गई थी। यात्रियों की इस समस्या को देखते हुए रेलवे ने नवंबर महीने में अलग-अलग 42 एक्सप्रेस ट्रेनों में एक्सट्रा कोच लगाया है। लेकिन, इसके बाद भी कंफर्म बर्थ मिलना मुश्किल है।
विंटर सीजन में बढ़ी डिमांड
दरअसल, विंटर सीजन में ज्यादातर लोग टूर पर जाने का प्लान बनाते हैं। ऐसे में ट्रेनों में बर्थ की डिमांड बढ़ जाती है। कोरोना काल के बाद इस बार विटंर वेकेशन में जाने के लिए लोगों ने पहले से ही अपना बर्थ कंफर्म करा लिया है। यही वजह है कि हावड़ा-मुंबई, पोरबंदर, ज्ञानेश्वरी सहित सभी दिशाओं की ओर जाने वाली ट्रेनों में लोगों को कंफर्म बर्थ नहीं मिल रहा है।
दूर नहीं हुई ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या
ट्रेनों के कैंसिलेशन की समस्या अभी चल ही रही है कि बिलासपुर जोन में आने वाली ज्यादातर गाड़ियों की लेटलतीफी की समस्या से भी यात्री परेशान हैं। आजाद हिंद एक्सप्रेस, गोंडवाना, ज्ञानेश्वरी, अमरकंटक, सारनाथ एक्सप्रेस सहित लंबी दूरी की ज्यादातर ट्रेनें 3 से 5 घंटे विलंब से चल रही है। ट्रेनों की विलंब से चलने की समस्या पिछले कई महीनों से जारी है।
टॉयलेट के पास बैठकर जाने की है मजबूरी
रेल प्रशासन यात्री सुविधाओं को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावा करता है। लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्री शौचालय के गेट पर या उसके आजू-बाजू में उठने वाली बदबू के बीच सो कर सफर करने के लिए मजबूर हैं। सोमवार दोपहर रेलवे स्टेशन पहुंची पोरबंदर एक्सप्रेस में ऐसे ही नजारा देखने को मिला। इसी तरह सारनाथ एक्सप्रेस सहित कई अन्य ट्रेनों में भी बनी रहती है और जरूरी काम से जाने वाले लोग मजबूरी में टॉयलेट के पास सोकर यात्रा करते हैं।
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