सेंट्रल जेल के बंदी विदेशी राम की मौत के मामले की न्यायिक जांच होगी। गुरुवार को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने शव का पंचनामा हुआ और पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई गई। परिजनों ने शव देखकर जेल प्रबंधन पर हाथ-पैर बांधकर विदेशी राम के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया।
भाई ने बताया कि उसके हाथ व एक पैर में निशान थे। अभी पीएम रिपोर्ट नहीं मिली है। कोनी थाना क्षेत्र के ग्राम सेंदरी निवासी विदेशी राम केंवट (31 साल) को रेलवे पुलिस ने 14 मई को चोरी के आरोप में जेल भेजा था। 16 मई को उसे गंभीर हालत में सिम्स में भर्ती कराया गया। जेल प्रशासन ने बताया था कि उसे जेल आने से पहले कुत्ते ने काटा था।
यह भी बताया कि वह आदतन नशेड़ी था। सिविल लाइन पुलिस ने मौत की जानकारी पुलिस अफसरों को दी। एसपी के प्रतिवेदन पर प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शव का पंचनामा और पोस्टमार्टम कराया गया। विदेशी राम के भाई मानूराम केंवट के अनुसार उसके भाई की मौत स्वाभाविक नहीं है, न ही वह बीमार था। उसने पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप लगाया और परिवार के साथ न्याय की गुहार लगाई है।
इधर, छोटेलाल की मौत की जांच शुरू हुई
जेल में पांच दिन पहले अवैध शराब के मामले में पकड़े गए पचपेड़ी क्षेत्र के छोटेलाल यादव की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उसके पूरे शरीर पर चोट के निशान मिले थे। परिजनों ने जेल प्रशासन व आबकारी विभाग पर बेरहमी से पिटाई करने के आरोप लगाए हैं। यादव समाज ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। इस मामले की जांच शुरू हो गई है।
जेल में हर चीज के रेट तय हैं, रहने-खाने और सोने के लिए पैसे नहीं देने पर पिटाई
सेंट्रल जेल से छूटे एक बंदी ने दैनिक भास्कर को बताया कि सेंट्रल जेल में बिना पैसे के कुछ नहीं होता। यहां चीज की कीमत तय है। पैसे नहीं देने वालों के साथ मारपीट की जाती है। उन्हें सोने नहीं दिया जाता है। रातभर बिठाकर रखा जाता है। विरोध करने पर जानवरों की तरह पिटाई की जाती है।
बंदी पैसे देकर ही खाना खा सकता है या सो सकता है। यहां अच्छा खाना भी मिलता है। कैदी की हैसियत देखकर भी खाने का रेट तय होता है। जेल के पहरेदार बंदियों से गिफ्ट तक लेते हैं। जेल में किसी को मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। बंदी जब जेल के भीतर प्रवेश करता है तो नंबरदार वहां रहने, खाने, सोने के तौर-तरीके समझा देता है और रेट भी बता देता है। जेल के भीतर चावल, रोटी व सब्जी का रेट तय है।
डर बनाने प्रवेश करते ही नंबरदार मारता है थप्पड़
बंदी जैसे ही जेल के भीतर प्रवेश करता है उसे नंबरदार बिना कारण के दाे तीन थप्पड़ मारता है। इसके पीछे केवल दहशत पैदा करना होता है। इसके बाद मेडिकल मुलाहिजा होता है।
खाने के रेट तय
ठेके पर चलते हैं बैरक मुलाकातियों से होती है वसूली
बाहर आए एक बंदी ने बताया कि जेल के भीतर बैरक ठेके पर चलता है। वसूली काम नंबरदार करता है। नंबरदार भी रसूखदारों को बनाया जाता है जो बंदियों से मारपीट कर सके और उनसे बाहर से पैसा मंगा सके। बंदियों से मिलने आने वाले से पैसे मांगते हैं।
बाहर बैठे बाबाओं के खातों में होता है पैसा ट्रांसफर
जेल के पास एक बड़ा नीम का पेड़ है। यहां जेल के बाबा रहते हैं। बंदियों के परिजनों के साथ यहां सेटिंग होता है। बाबा का काम भीतर सामान व पैसा पहुंचाने का होता है। उनके खाते में बाकायदा पैसा भी ट्रांसफर होता है।
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