जिले में 274 सरकारी स्कूल इतने जर्जर हो गए हैं कि कभी भी गिर सकते हैं। उन्हें डिस्मेंटल करने की जरूरत है। चारों ब्लाक के बीईओ ऐसे स्कूलों की सूची बनाकर 2022 में डीईओ कार्यालय में जमा कर चुके हैं, लेकिन विभाग ने इस पर ध्यान नहीं दिया। शासन की फटकार के बाद अब फिर से सभी बीईओ से डिस्मेंटल करने लायक भवनों की सूची मंगाई गई है। इसके लिए शनिवार को दोपहर शिक्षा विभाग में एक बैठक रखी गई है। प्रशासन से अनुमति के बाद भवनों को डिस्मेंटल कर नए भवन बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।
जिले में 20 से 25 साल पहले बने सरकारी स्कूल बेहद जर्जर हो गए हैं। ऐसे भवनों में कुछ जगहों पर ताला लगा दिया गया है तो कुछ जगहों पर बच्चों की जान जोखिम में डालकर कक्षाएं लगाई जा रही हैं। इन स्कूलों को डिस्मेंटल कर नए सिरे से निर्माण की जरूरत है, लेकिन अब तक यह ठंडे बस्ते में हैं। शिक्षक जनप्रतिनिधियों से लेकर उच्च अधिकारियों को कई बार पत्र लिख चुके हैं। प्रस्ताव भी बनाकर दे चुके हैं, लेकिन जर्जर भवनों को नए सिरे से बनाने के बजाय मेंटेनेंस कर काम चलाया जा रहा है।
इस संबंध में 20 दिसंबर 2021 को जिला शिक्षा अधिकारी को आदेश मिला था। डीईओ कार्यालय से सभी विकासखंड अधिकारियों को पत्र लिखकर डिस्मेंटल करने लायक स्कूलों की सूची मंगाई गई थी। कोटा, मस्तूरी, तखतपुर और बिल्हा के बीईओ ने डीईओ को 274 स्कूलों को डिस्मेंटल के लिए चिह्नांकित कर एक महीने के अन्दर सूची भेज दी थी।
दो साल पहले 574 स्कूलों में कराई गई थी मरम्मत
शिक्षा विभाग ने दो साल पहले 574 स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए सूची राज्य सरकार को भेजी थी। इन स्कूलों में खिड़की, दरवाजा, छत की मरम्मत करने के लिए शासन ने लाखों रुपए स्वीकृत किए थे।
बीईओ से मंगाई गई है सूची
जिले के डिस्मेंटल करने लायक भवनों की सूची सभी बीईओ से मंगाई गई है। पूर्व में हमारे पास 274 स्कूलों की सूची है। सभी को एक साथ मिलाकर शासन से डिस्मेंटल करने वाले भवनों की जगह नए भवन निर्माण की मांग गई है।
-पी दासरथी, सहायक संचालक स्कूल शिक्षा विभाग
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