जिला अस्पताल प्रबंधन को कोरोना की तीसरी लहर के दौरान ट्रू नॉट लैब निर्माण की मंजूरी मिली थी। लेकिन इसका काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है। कारण कैंपस में जमीन नहीं होना बताया जा रहा, जिसके चलते काम साल से ज्यादा समय से अटका पड़ा है। फिलहाल इसके निर्माण की चर्चा फिर से तेज हो रही है। सिविल सर्जन ने सीजीएमएसी को मातृ शिशु अस्पताल वाली बिल्डिंग के पांचवें माले पर इसके निर्माण करने की बात लिखी है। लेकिन सीजीएमएसी की ओर से फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है।
ट्रू नॉल लैब के निर्माण की बात भी तब शुरू हो रही है जब कोरोना फिलहाल नरम है। कोविड-19 अस्पताल के रूप में तब्दील हो चुका जिला अस्पताल फिर से अपने मूल स्वरूप में आ चुका है और यहां पदस्थ डॉक्टरों को कोरोना के काम से मुक्त किया जा रहा।
संभवत: अस्पताल प्रबंधन को इस तरह के फुरसत का इंतजार रहा, जबकि तीसरी लहर के दौरान कोरोना के मरीजों की जांच का सैंपल बाहर भेजा जाता रहा। फिलहाल फिर से अस्पताल में इस लैब के निर्माण का मामला गरमाया है। सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार के मुताबिक उन्होंने सीजीएमएसी को पांचवे माले पर ही इसे तैयार करने की बात कही है। जिसके बाद ही आगे लैब बनने की प्रक्रिया पूरी होगी। इसका पूरा खर्च सीजीएमएसी के अधिकारियों को भेजा जा चुका है। संभव है कि आने वाले दिनों में इसका काम शुरू हो।
यह है ट्रू नॉट लैब
किसी भी कोरोना संदिग्ध मरीज की पहचान इसी लैब से पुष्ट होती है। प्राथमिक तौर पर डॉक्टर या स्टाफ द्वारा कोविड-19 के लक्षण वाले मरीज से उसका सैंपल संग्रहण किया जाता है और उसे जांच के लिए ट्रू नॉट लैब भेजा जाता है। इसकी जांचने की क्षमता अधिक कई दूसरी मशीनों से ज्यादा होती है। इसलिए ही जिला अस्पताल को यहां लैब निर्माण की मंजूरी दी गई थी।
पांचवे माले पर बनेगा
हमारे यहां साल भर पहले ट्रू नॉट लैब बनाने को लेकर मंजूरी दी गई थी। तब कैंपस में जमीन की समस्या आई। अभी इसे पांचवे माले पर बनाने की बात फाइनल हुई है।
- डॉ. अनिल कुमार गुप्ता, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
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