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ट्रैफिक नियम तोड़ने के एवज में लोगों से हर साल करीब डेढ़ करोड़ रुपए वसूले जा रहे हैं। इससे सरकार का खजाना तो भर रहा है पर जुर्माने लेने के पीछे की मंशा पूरी नहीं हो रही है। इन पैसों का उपयोग ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में नहीं हो रहा है। सालों से नए उपकरण या गाडिय़ां नहीं खरीदी गई है। सिग्नल आए दिन खराब रहते हैं। चालान का रेसो हर साल बढ़ रहा है।
2016 में 52424 लोगों ने ट्रैफिक नियम तोड़े। दूसरे साल यह संख्या बढ़कर 57938 हो गई। इसी तरह तीसरे साल 2018 में 67703 से चौथे साल 28481 और पांचवे साल 29774 लोगों से पुलिस ने मोटर व्हीकल एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत जुर्माना वसूला। जुर्माना वसूलने के साथ पुलिस को लोगों को जागरुक भी करना था जिससे वाहन चालक दोबारा गलती न करें और हादसे न हों पर ऐसा नहीं हो रहा है।
पुलिस का ध्यान केवल वसूली में है। टारगेट पूरा करने के बहाने लोगों को नियम कायदे सिखाना भूल गई है। इससे अवेयरनेस नहीं आ रही है। पिछले तीन साल के वसूली के आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों की संख्या बढ़ रही है। 2016 में 1.57 करोड़ रुपए वाहन चालकों से वसूले गए। यह आंकड़ा दूसरे साल बढ़कर 1.92 करोड़ व तीसरे साल में 2.30 हो गया। इससे पुलिस को फायदा तो है पर लोगों को नुकसान हो रहा है।
हेलमेट में वसूले 2.40 करोड़
हेलमेट के नाम पर ट्रैफिक पुलिस ने 5 साल के भीतर 66903 लोगों से 2 करोड़ 40 लाख रुपए वसूले। यह कार्रवाई इसलिए की गई ताकि लोग हेलमेट का उपयोग करें पर ऐसा नहीं हुआा। अभी केवल 25 फीसदी बाइक चालक इसका उपयोग कर रहे हैं। 2018-2019 में 976 सड़क हादसों में बिना हेलमेट के 270 लोगों की मौत हुई।
नशे में गाड़ी चलाने वालों की संख्या चार गुना अधिक : नशे में गाड़ी चलाने वालों की भी कमीं नहीं हो रही। 2016 में 214 लोगों का चालान किया गया। 2019 में 378 पर कार्रवाई हुई और 2020 में यह संख्या बढ़कर 796 हो गई।
आए दिन बिगड़ रहे ट्रैफिक सिग्नल
शहर के ट्रैफिक सिग्नल आए दिन बिगड़ते रहते हैं। इस दौरान व्यस्त चौराहों पर ट्रैफिक अपने हिसाब से संचालित होता है। इसकी वजह से दुर्घटना भी हो सकती है। अर्जुनी मोड़ और नहरनाका चौक के पास अभी तक सिग्नल नहीं लगाए गए।
केवल 10 ब्रीथ एनालाइजर से चल रहा काम : शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को ब्रीथ एनालाइजर की मदद से पकड़ा जाता है। ट्रैफिक पुलिस के पास इसकी भी कमी है। पुलिस मुख्यालय से 20 भेजे गए पर 12 को थानों में दे दिया, 10 से काम चलाया जा रहा है।
नाबालिग वाहन चालक 7 गुना बढ़े : 2016 में 24 किशोर वाहन चालकों का चालान किया गया। 2020 में यह संख्या बढ़कर 177 हो गई। 5 साल में 153 लोग बढ़ गए। यह सात गुना अधिक है।
डीएसपी सत्येंद्र पांडेय के अनुसार ट्रैफिक पुलिस के पास केवल चार ही चार पहिया गाड़ियां है। जिला पुलिस बल से मिली गाड़ियों से काम चलाया जा रहा है।
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