छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर शादी के बाद भी पत्नी जानबूझ कर अपने पति से अलग रह रही है तो पति तलाक लेने का हकदार है। पति शादी के 11 साल तक पत्नी को साथ रहने के लिए प्रयास करता रहा। लेकिन, वह शुभ मुहूर्त का बहाना बनाकर ससुराल नहीं गई।
जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि पति ऐसे मामले में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक ले सकता है। रायगढ़ के संतोष सिंह ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। 8 जुलाई 2010 को उनकी शादी जांजगीर निवासी शिक्षाकर्मी अमिता सिंह से हुई थी। उनकी पत्नी ससुराल में 11 दिन रहने के बाद 19 जुलाई को वापस लौट गई। इसके बाद संतोष दो बार पत्नी को लेने गए। लेकिन अमिता ने शुभ मुहूर्त नहीं होने की बात कह आने से इंकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि 11 साल बाद पत्नी ने जो शुभ मुहूर्त के तथ्य प्रस्तुत किए हैं उसके मुताबिक उसका वैवाहिक घर शुभ मुहूर्त के अभाव में नष्ट हो जाएगा। वह वैवाहिक जीवन के प्रति ईमानदार नहीं थी। उसने सहयोग नहीं किया। हाईकोर्ट ने फैसले को अप्रुवल फॉर रिर्पोटिंग ऑर्डर माना है। लिहाजा अब तलाक के दूसरे ऐसे मामलों में इस आदेश का हवाला दिया जा सकेगा।
रायगढ़ कोर्ट ने पत्नी को साथ रहने दिया था आदेश
शादी के एक वर्ष बाद भी जब पत्नी अपने ससुराल वापस नहीं आई तब संतोष ने रायगढ़ परिवार न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान अमिता उपस्थित नहीं हुई। उनकी तरफ से कहा गया कि उनकी ड्यूटी जनगणना में लगी है। तब परिवार न्यायालय ने एक पक्षीय आदेश में उसे पति के साथ रहने को कहा था। जब पति के घर नहीं आई तब याचिकाकर्ता ने तलाक के लिए परिवाद किया। वहां अमिता ने तर्क दिया कि वे आधिकारिक कर्तव्यों में फंस गई थीं। इसके बाद कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी थी।
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