छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में बन रही एक सड़क के निर्माण कार्य पर हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश दिया था। इसे रोकने की जिम्मेदारी PWD और राजस्व विभाग की थी। बावजूद इसके आदेश के 14 दिन बाद फिर से निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। इसके लिए ठेकेदार ने वन विभाग के साथ ही आसपास रह रहे लोगों की जमीन पर भी कब्जा कर सड़क व नाली बना दी। फिलहाल PWD अफसरों ने इससे पल्ला झाड़ लिया है।
दरअसल, पेंड्रा में बिलासपुर को जोड़ने वाली पेंड्रा-बसंतपुर के बीच 8 किमी सड़क निर्माण कार्य के लिए 24 करोड़ रुपए का ठेका PWD ने अनिल बिल्डकॉन को दिया था। करीब 6 किमी की सड़क बना दी गई। इसमें गुणवत्ता का भी ध्यान नहीं रखा गया। इसे लेकर मंत्री की ओर से फटकार भी लगाई गई। इसके बाद भी मनमानी जारी रही। आरोप है कि अमरपुर के पास बड़े झाड़ के जंगल में वन विभाग की जमीन पर ही सड़क निर्माण कर दिया।
लोगों की निजी जमीन पर बना दी सड़क और नाली
साथ ही वहां रहने वाले लोगों की निजी जमीन पर सड़क और नाली बना दी। इस पर लोगों ने इसकी शिकायत अफसरों से की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस मामले में चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच ने 2 दिसंबर को आदेश जारी कर खसरा नंबर 54 और 48 में निर्माण पर रोक लगा दी। बावजूद इसके रविवार से निर्माण कार्य फिर शुरू कर दिया गया है।
ग्रामीणों का आरोप-शिकायत पर सुनवाई नहीं, अफसर बोले- पता नहीं
ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार अनिल बिल्डकॉन और PWD विभाग के अफसरों में मिलीभगत है। इसी के चलते काम हो रहा है। इसकी जानकारी जिले के उच्चाधिकारियों को भी व्हॉट्सऐप के जरिए दी गई थी, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। यह कोर्ट की अवमानना है। वहीं PWD इंजीनियर मनीष सातुवाला ने कहा कि उन्होंने काम नहीं करने का निर्देश दिया था। ठेकेदार क्यों काम करवा रहा है, कहां करवा रहा है पता करवाता हूं।
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