3 टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाले टाइगर कॉरिडोर में अब बाघ ही नजर नहीं आते हैं। कारण है छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की सीमा पर वन विभाग ने तारों की फेंसिंग कर दी है। इस वजह से अब दूसरे जानवर भी छत्तीसगढ़ की सीमा में नहीं आ सकते। ऐसे में सवाल ये भी है कि यदि बाघ अपने कॉरिडोर से ही दूसरे टाइगर रिजर्व क्षेत्र में नहीं जा पाएंगे तो उनका कुनबा कैसे बढ़ेगा। बताया जा रहा है कि इस फेंसिंग के टेंडर में भी गड़बड़ी है। इसका ठेका राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों ने लिया है।
ये पूरा मामला मरवाही वन परिक्षेत्र का है। जिसने मध्यप्रदेश के अमरकंटक क्षेत्र को जोड़ने वाले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की सीमा पर फेसिंग करवा दी है। दरअसल कुछ साल पहले इस क्षेत्र में टाइगर कॉरिडोर बनाया गया था। जिससे मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बाघ छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व आ सकें। इसी तरह अचानकमार के बाघ दूसरी तरफ आराम से जा सकें और विचरण भी कर सकें। मगर इस तरह से फेंसिंग कर देने से बाघों का आना जाना बंद हो गया है।
सीमा विवाद के चलते 84 लाख में की फेंसिंग
अधिकारियों का कहना है कि पहले से ही वन विभाग में सीमा को लेकर विवाद चल रहा था। जब छत्तीसगढ़ सीमा पर काम किया जाता तो मध्यप्रदेश के अधिकारी कहते हमारे क्षेत्र में काम क्यों कर रहे। वैसे ही जब उस क्षेत्र में काम होता तो भी असमंजस की स्थिति थी। इसलिए राज्य कैंपा मद से 84 लाख रुपए की लागत से इस पूरे इलाके में फेेंसिंग का काम कर दिया है। इसका टेंडर भी विवादों में घिरा रहा। इसे राजनीतिक दबाव में कुछ प्रभावशाली लोगों को दिया गया। काम की गुणवत्ता और क्षेत्र के नापजोख में भी गड़बड़ी बताई जा रही है।
इन इलाकों में की गई फेंसिंग
वन विभाग ने इस फेसिंग को 2019 से 2021 के बीच में किया है। पता चला है कि वन विभाग की टीम ने सीमा के अमरकंटक के पास जलेश्वर, करंगरा रोड में, धनौली समेत कुछ अन्य जगह पर काफी लंबी फेंसिंग कर दी है। जिसके कारण अब बाघ और अन्य जानवर सीमा में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि जो जंगली जानवर, बाघ पहले अपने कॉरिडोर से मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र तक पहुंच जाया करते थे। उनका आना-जाना अब कम हो गया है। यहां तक कि कई दिनों से छत्तीसगढ़ की सीमा के अंदर बहुत से जानवरों ने प्रवेश तक नहीं किया है। ये सभी जंगली जानवर मंडला, बालाघाट, अनूपपुर के रास्ते ही यहां प्रवेश करते थे।
अधिकारी बोले- नई व्यवस्था बनाएंगे
इधर, इस मामले को लेकर मरवाही वन मंडल के प्रभारी डीएफओ संजय त्रिपाठी ने दैनिक भास्कर को बताया कि आपने इस संबंध में ध्यानाकर्षण कराया है। हम इस मामले को सीनियर अधिकारियों तक ले जाएंगे। इसके लिए क्या नई व्यवस्था हो सकती है। वह बनाएंगे।
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