छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में डैनेक्स प्रिंटिंग टैक्सटाइल यूनिट खोली गई है। यह प्रदेश की पहली ऐसी कपड़ा प्रिंटिंग यूनिट है, जिसमें सरेंडर नक्सली और नक्सल हिंसा पीड़ित परिवार के साथ स्व सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है। फिलहाल इन महिलाओं को कपड़ा प्रिंट करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस प्रिंटिंग यूनिट में करीब 40 से 50 महिलाएं काम करेंगी। यहां प्रिंट हुए कपड़ों को देश के कई महानगरों में भेजा जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने पूरी योजना भी बना ली है। इस यूनिट में ट्रेनिंग लेने पहुंची सरेंडर नक्सलियों ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की है। पढ़िए पूरी खबर...
सरेंडर हार्डकोर महिला माओवादी हुंगी भी इस प्रिंटिंग यूनिट में ट्रेनिंग ले रही है। हुंगी ने दैनिक भास्कर को बताया कि वो साल 2006 में संगठन से जुड़ी। चारों तरफ खून-खराब, दिनभर बंदूक पकड़कर जंगलों में घूमना। न परिवार का प्यार और न बच्चे पैदा कर मां बनने की खुशी मिली। माओवाद संगठन से तंग आ गई थी, इसलिए अपने नक्सली पति लखन के साथ साल 2021 में दंतेवाड़ा पुलिस के सामने हथियार डाल दिया। हुंगी बीजापुर जिले में एक मुठभेड़ में भी शामिल रही है। मुठभेड़ में 6 DRG जवानों की शहादत की जिम्मेदार भी है। इसने बताया कि बचपन से लेकर जवानी तक हाथों में सिर्फ बंदूक पकड़ी थी, अब प्रिंटिंग मशीन पकड़कर अच्छा महसूस हो रहा है।
पति पर बड़े लीडर करते थे शक, कहीं मार न दें तो छोड़ी हिंसा
डैनेक्स टैक्सटाइल प्रिंटिंग यूनिट में ट्रेनिंग ले रही महिला आयते का पति लच्छू ताती भी नक्सली था। संगठन के अन्य नक्सली लच्छू पर पुलिस का मुखबिर होने का शक करने लग गए थे, इसलिए लच्छू ने हिंसा का रास्ता छोड़ सरेंडर कर दिया। आयते ने बताया कि पति अभी DRG में हैं। वो घर पर अकेली रहती थीं। अफसरों ने प्रिंटिंग यूनिट में काम करने के लिए कहा, इसलिए ट्रेनिंग लेने आई हूं। आयते ने बताया कि वह पिछले 3-4 महीने से ट्रेनिंग कपड़े प्रिंट करने की ट्रेनिंग ले रही हैं। यहीं रोजगार मिलेगा तो फायदा होगा।
समूह की महिलाएं बोलीं- परिवार चलाने में आसानी होगी
प्रिंटिंग टैक्स्टाइल यूनिट में दंतेवाड़ा जिले की स्व सहायता समूह की महिलाएं भी काम कर रही हैं। महिलाओं ने कहा कि यहां रोजगार मिलेगा जिससे परिवार चलाने में आसानी होगी। यहां की ट्रेनर परमेश्वरी ने बताया कि डैनेक्स गारमेंट फैक्ट्री में काम किया है। यहां प्रिंटिंग का काम सिखाया गया था। फिर मुझे ही ट्रेनिंग की जिम्मेदारी दी गई। कुछ बारीकियां अभी बाकी हैं। दूसरे राज्यों के ट्रेनर आकर फाइनल ट्रेनिंग देंगे। बताया जा रहा है इस फैक्ट्री में करीब 100 महिलाओं को रोजगार देने का लक्ष्य है। दंतेवाड़ा के कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा कि जिले में महिलाओं को विभिन्न तरीके के रोजगार से जोड़ा जा रहा है। अब जिले की महिलाएं कपड़े प्रिंट करने का भी काम करेंगी। यह कपड़े देश के कोने-कोने में भेजे जाएंगे।
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