छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादियों की दहशत की वजह से एक बार फिर यात्री ट्रेनों के पहिये थम गए हैं। विशाखापट्टनम से चलकर किरंदुल जाने वाली दोनों ट्रेनें अब 16 अगस्त तक किरंदुल नहीं जाएगी। दोनों ट्रेनों का अंतिम स्टॉपेज 16 अगस्त तक दंतेवाड़ा ही होगा। बताया जा रहा है कि माओवादी स्वतंत्रता दिवस का विरोध कर रहे हैं। नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम न दे पाएं इसलिए यात्री ट्रेनों को किरंदुल तक न भेजने का निर्णय लिया गया है।
ईको रेलवे के सीनियर डिवीजनल कमर्शियल मैनेजर एके त्रिपाठी ने बताया कि, ट्रेन संख्या 18514 विशाखापट्टनम-किरंदुल एक्सप्रेस और एक अन्य पैसेंजर ट्रेन किरंदुल नहीं जाएगी। ये दोनों ट्रेनों को दंतेवाड़ा में ही रोक लिया जाएगा। फिर यहीं से ट्रेनें विशाखापट्टनम के लिए लौटेंगी। 15 अगस्त और 26 जनवरी को माओवादी काला दिवस के रूप में मनाते हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में काला झंडा भी फहराते हैं। इस दौरान रेलवे संपत्ति को नुकसान न पहुंचा दें, इसलिए ऐसा निर्णय लिया गया है।
बासनपुर-झिरका संवेदनशील इलाका
दरअसल, किरंदुल-विशाखापट्टनम रेल मार्ग पर दंतेवाड़ा से किरंदुल स्टेशन के बीच बासनपुर-झिरका के घने जंगल में माओवादी ज्यादातर रेल पटरियों को उखाड़ ट्रेनों को डिरेल करते हैं। साल 2021 में भी इसी जगह माओवादियों ने एक यात्री ट्रेन को डिरेल किया था। हालांकि, रफ्तार कम होने की वजह से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ था। मालगाड़ियों को भी कई दफा अपना निशाना बना चुके हैं। यही वजह है कि जब-जब नक्सल संगठन की तरफ से कोई भी दिवस मनाया जाता है तो यात्री ट्रेनों को दंतेवाड़ा आने से पहले जगदलपुर में ही रोक दिया जाता है।
इस साल इतने दिन नहीं हुआ परिचालन
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