छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा पुलिस के सामने 7 लाख रुपए के हार्डकोर माओवादी दंपती ने सरेंडर किया है। यह दोनों माओवादी बुरकापाल, मैलावाड़ा, शायमगिरी जैसी कई बड़ी मुठभेड़ों में शामिल रहे हैं। इन मुठभेड़ों में शामिल रहकर कुल 42 जवानों की शहादत के जिम्मेदार हैं। पुरुष माओवादी पर 5 लाख और महिला माओवादी पर 2 लाख रुपए का इनाम घोषित था। बताया जा रहा है कि महिला माओवादी बीमार थी और पुरुष माओवादी की संगठन के बड़े लीडरों ने नसबंदी करवा दी थी। इसी वजह से दोनों ने खुशहाल जिंदगी जीने संगठन छोड़ने का निर्णय लिया है।
नक्सलियों के प्लाटून नंबर 25 के सेक्शन कमांडर हुर्रा कुंजाम ने सरेंडर के बाद दैनिक भास्कर को बताया कि पिछले कई सालों से माओवाद संगठन से जुड़कर काम कर रहा था। मलांगेर एरिया कमेटी के खूंखार माओवादी देवा, जयलाल समेत अन्य के साथ काम कर चुका है। संगठन में रहते हुए साथी महिला नक्सली बुधरी माड़वी से प्यार हो गया। दोनों ने बड़े कैडर्स से शादी के लिए इजाजत ली। पहले बड़े कैडर्स ने हुर्रा की नसबंदी करवाई, फिर साल 2018 में इनकी शादी करवा दी। शादी के बाद बुधरी एकाएक बीमार पड़ने लग गई थी। शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं थी। हथियार पकड़कर जंगल में कुछ दूरी चलती तो हाथ-पैर में सूजन आ जाते थे। दर्द से तड़पती थी, लेकिन बड़े लीडर्स संगठन के कामों के लिए दबाव बनाते थे। काफी प्रताड़ित करते थे।
हुर्रा ने बताया कि पत्नी की तकलीफों को देख नहीं पाया, इसलिए संगठन छोड़ने का निर्णय ले लिया। रात के अंधेरे में किसी तरह से छिपते-छिपाते जंगल से बाहर आ गए। फिर दंतेवाड़ा पुलिस और CRPF के अधिकारियों के सामने आकर सरेंडर कर दिए। SP सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि माओवादियों की प्रताड़ना और खोखली विचारधारा से तंग आकर दोनों ने लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर समर्पण किया है। दोनों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। दंपती कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहे हैं। इनसे पूछताछ की जा रही है और भी खुलासे ये कर सकते हैं।
इन घटनाओं में थे शामिल
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