भिलाई के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने एक अनोखा रोबोट का मॉडल तैयार किया है। ये हजारों लीटर पानी तो बचाएगा ही साथ ही साथ मैन पॉवर की भी बचत करेगा। इस रोबोट की सहायता से कुछ ही घंटों के अंदर बिना पानी के हजारों सोलर पैनल की सफाई की जा सकेगी।
इस रोबोट का मॉडल रुंगटा आर 1 इंजीनियरिंग कॉलेज में तैयार किया गया है। इसे मैकेनिकल विभाग के प्रोफेसर डॉ. मनोज चौधरी, डॉ.मनमोहन सोनी और डॉ. अग्निवेश कुमार सिन्हा के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में सोलर पॉवर का उपयोग धीरे-धीरे काफी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसके लिए घरों से लेकर बड़े क्षेत्रफल में छोटे-बड़े सोलर प्लांट में लगाए जा रहे हैं।
ये सोलर पैनल धूल से गंदे होने के बाद उतनी बिजली नहीं दे पाते, जितनी की उन्हें देना चाहिए। ऐसे में लोगों के लिए इन्हें साफ करना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है। उनके द्वारा बनाया गया एक छोटा सा रोबोट यह काम कुछ ही घंटों में कर देगा। वो न सिर्फ सोलर पैनल को पूरी तरह से क्लीन करेगा, बल्कि पानी की बर्बादी भी रोकेगा।
भारत सरकार ने जारी किया पेटेंट
रूंगटा कॉलेज में तैयार किए गए इस रोबोट का पेटेंट भी कराया गया है। भारत सरकार ने हाल ही में इसका पेटेंट जारी किया है। इसके बाद रोबोट को फाइनल टच देने का काम शुरू हो गया है। इस रोबोट को प्रभावी बनाने के लिए कई सोलर पैनल निर्माता बड़ी कंपनियों से इसकी टेस्टिंग कराने की योजना है।
बचेगा हजारों लीटर पानी
इस रोबोट को आकार दे रहे प्रोफेसर्स ने बताया कि अभी सोलर प्लांट या घरों में लगे सोलर पैनल को हाथों से साफ करना पड़ता है। इस कार्य में पानी बहुत अधिक बर्बाद होता है। वहीं पैनल भी पूरी तरह से साफ नहीं हो पाते। धूल के कणों से पैनल पर कई लेयर बन जाती है। इसे साफ करने में समय लगता है। रोबोट इन पैनल को बिना नुकसान पहुंचाए पूरी तरह से साफ कर पाएगा।
ऐसे करेगा काम रोबोट
मैकेनिकल विभाग के प्रोफेसर डॉ. मनोज चौधरी ने बताया कि रोबोट को पैनल पर छोड़ दिया जाएगा। इसमें कई तरह के सेंसर लगाए गए हैं, जो पैनल पर लगी गंदगी को देखकर उसी आधार पर सफाई प्रोग्राम का चयन करेगा। इसमें लगे विशेष वाइपर पैनल को डैमेज नहीं होने देंगे। रोबोट रिमोर्ट कंट्रोलर से ऑपरेट होगा। इसमें लगा कैमरा इंजीनियर को यह भी बताएगा कि कितने हिस्से में कैसी सफाई की गई है। रोबोट को महज 10 से 15 हजार रुपए के खर्च में तैयार किया जा रहा है। रोबोट इजाद करने में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राकेश हिमते और सेंट्रल रिसर्च कमेटी के प्रोफेसर रामकृष्ण राठौर का भी सहयोग रहा।
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