छत्तीसगढ़ की ट्विन सिटी यानी दुर्ग-भिलाई में विकास का काम काफी धीमा चल रहा है। इस VVIP जिले में 2 साल में बनने वाले 4 अंडर ब्रिज का अभी तक निर्माण नहीं हो सका। दो अंडर ब्रिज अधूरे पड़े हैं, और दो का निर्माण अभी फाइलों में ही दफन है। खास बात यह है कि मामला सेतू डिवीजन और रेलवे के बीच झूल रहा है। जबकि 4 साल पहले ही स्वीकृत दे दी गई थी। इन सबके बीच करीब 4 लाख लोग रोज परेशान हो रहे हैं।
भास्कर टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। दरअसल, दुर्ग जिले के सेतू डिवीजन को इस निर्माण कार्य की जिम्मेदारी दी गई थी। विभाग का कहना है कि उन्होंने निर्माण कार्य के लिए मिली राशि रेलवे प्रशासन को दे दी है। अब उसे बनाना और न बनाना उनकी जवाबदेही है। सेतू डिवीजन के ईई कहते हैं कि इसके आगे उन्हें कुछ नहीं पता है। आगे का जवाब ईएनसी (प्रमुख अभियंता PWD) देंगे, लेकिन वह कॉल ही रिसीव नहीं कर रहे।
लोग बोले-अफसरों पर कार्रवाई हो
इस संबंध में जब मौके पर स्थानीय लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य की अनुमति है, तो बनाना चाहिए। ऐसा नहीं करने वाले जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जाए। इस सड़क से रोजाना गुजरने वाले एडवोकेट अशोक प्रसाद का कहना है कि यहां रेलवे फाटक आधा-आधा घंटा बंद रहता है। इससे काफी देर तक खड़ा रहना पड़ता है या फिर घूमकर ओवर ब्रिज से जाते हैं।
रिसाली निवासी कौशल कुमार गिरी का कहना है कि अंडर ब्रिज न बनने काफी परेशानी होती है। कई बार एंबुलेंस फंस जाती है। फाटक काफी देर तक बंद होता है इससे लोगों को इंतजार करना पड़ता है। ऑफिस के लिए लेट हो जाते हैं। अगर यह अंडर ब्रिज बन जाएगा तो लोगों को काफी राहत हो जाएगी।
2 साल बाद भी अधूरा है रायपुर नाका अंडर ब्रिज
यह अंडर ब्रिज मार्च 2019 में 7.2 करोड़ रुपए की लागत से बनना शुरू हुआ था। टेंडर शर्तों के मुताबिक इसका निर्माण अप्रैल 2020 में पूरा हो जाना था। 2 साल बीत जाने के बाद भी अब तक यह अंडर ब्रिज नहीं बन सका है। वर्तमान में इस का 70 परसेंट काम ही पूरा हो सका है। निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन इतनी धीमी गति से कि इसके पूरे होने में अभी 2 साल और लग जाएंगे। इस अंडर ब्रिज से नेहरू नगर, स्मृति नगर, बटालियन सहित कई पाश काॅलाेनियों के 2 लाख से अधिक लोगों का आना जाना होगा। साथ ही साथ वाय सेफ ओवर ब्रिज से वाहनों का दबाव कम होगा।
सिकोलाभाठा अंडर ब्रिज भी दो साल से अधूरा
यह अंडरब्रिज दुर्ग शहर के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। थोक मंडी के पास मौजूद होने से यहां से रोजाना एक लाख से अधिक लोग आना जाना करते हैं। इस अंडर ब्रिज का निर्माण 8 करोड़ की लागत से मई 2019 में शुरू हुआ था। जून 2020 में इसका काम पूरा हो जाना था, लेकिन 2 साल बाद भी यह अधूरा है। वर्तमान में इसका 80% काम ही पूरा हो पाया है। यह नागपुर अप लाइन के नीचे बन रहा है। इस ब्रिज की वजह से पटरी पार की करीब 1.30लाख लोगों की आबादी परेशानी से जूझ रही है।
धूल फांक रही ठगड़ाबांधा अंडर ब्रिज की फाइल
दुर्ग और हुडको एरिया को जोड़ने वाले ठगड़ाबांधा अंडर ब्रिज के निर्माण की स्वीकृति मार्च 2017 में मिल गई थी। इसका निर्माण 8.25 करोड़ रुपए की लागत से किया जाना था। इस अंडर ब्रिज के साथ ही यहां ओवरब्रिज के निर्माण की स्वीकृति मिली और वह 28 फरवरी 2021 को बनकर शुरू भी हो गया, लेकिन अंडर ब्रिज का निर्माण शुरू नहीं किया जा सका। इससे यहां रेलवे लाइन के बंद हो जाने से लोगों को आवागमन में काफी परेशानी होती है। इसके न बनने से आनंद नगर ठगड़ा बांधा बस्ती, पुलिस क्वार्टर, नेहरू नगर, स्मृति नगर के लोगों को आने जाने में परेशानी हो रही है। यहां से लगभग 95 हजार लोगों को घूम कर आना-जाना करना पड़ रहा है।
मरोदा भिलाई अंडर ब्रिज का निर्माण भी नहीं हुआ शुरू
साल 2012 में मरोदा भिलाई में अंडर ब्रिज बनाने के लिए 10.40 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली थी। यहां भी 6 अक्टूबर 2018 को ओवरब्रिज बनकर शुरू हो गया, लेकिन अब तक अंडर ब्रिज का काम शुरू नहीं हो सका। इसका प्रोजेक्ट फाइलों में बंद होकर आज भी धूल फांक रही है। लोगों का कहना है कि इस अंडर ब्रिज न बनने से राजीव चौक, एचएससीएल कॉलोनी, जीआरपी कॉलोनी, निवाई भाठा, चंद्र नगर, लोक नगर, न्यू नेहरू नगर जैसी बड़ी व पाश कालोनी के करीब 1.25 लाख लोगों को परेशानी हो रही है।
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