दुर्ग जिला अस्पताल की अव्यवस्था और डॉक्टरों की मनमानी की पोल उस समय खुली जब दुर्ग कमिश्नर महादेव कावरे ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। जहां 38 डॉक्टर अनुपस्थित पाए गए। इतना ही नहीं अस्पताल में भारी अव्यवस्था देखने को मिली। इससे नाराज होकर 38 चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस थमाया। इस दौरान बड़ी संख्या में नर्स भी अनुपस्थित मिली।
दुर्ग जिला अस्पताल रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। यहां के डॉक्टर सिर्फ कागजों में ड्यूटी कर रहे हैं। इलाज के लिए पहुंचने वाला मरीज बिना इलाज के ही रेफर कर दिया जा रहा है। इसकी लगातार मिल रही शिकायतों पर दुर्ग कमिश्नर ने संज्ञान लिया। उन्होंने सुबह जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया।
कमिश्नर कावरे सुबह 09:30 बजे जिला अस्पताल अचानक पहुंचे। उन्हें देखकर वहां हड़कंप मच गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने चिकित्सकों की उपस्थिति देखी तो वो चौंक गए। उपस्थिति पंजी में 33-33 चिकित्सा अधिकारी व विशेषज्ञ चिकित्सक, 5 संविदा अनुबंधित चिकित्सा अधिकारी और 70 नर्सें अनुपस्थित पाई गई।
इस पर कमिश्नर ने सिविल सर्जन को जमकर फटकारा। उन्होंने सभी चिकित्सकों को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। अनुपस्थिति का सही कारण न बताने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही गई है।
अस्पताल के वार्डों में मिली अव्यवस्था
निरीक्षण के दौरान कमिश्नर ने जिला अस्पताल के वार्डों, ओटी, खाने सहित इलाज की व्यवस्था का जायजा लिया। इसमें बड़ी लापरवाही पाई गई। इस पर भी उन्होंने जमकर नाराजगी जताई। उन्होंने जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. वाय के शर्मा को निर्देशित किया की सभी विभागों के संबंधित चिकित्सक, अधिकारी एवं कर्मचारी कार्यालयीन निर्धारित समय एवं अपनी पालियों में उपस्थित रहे। ऐसा दोबारा मिला तो वो सीधे कार्रवाई करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने जिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य संबंधी उपकरणों की उपलब्धता और उसके मेंटेनेंस के संबंध में निर्देश दिए।
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