छत्तीसगढ़ के भिलाई नगर पालिक निगम की माली हालत खराब हो चुकी है। हालत यह है कि निगम के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक का बजट नहीं है। दीपावली के समय वेतन रोकने पर कर्मचारी विरोध न करें इसे देखते हुए निगम ने संचित निधि से राशि लेकर वेतन देने का फैसला लिया है। भिलाई निगम में महापौर परिषद के इस फैसले के बाद से हड़कंप मचा है कि राज्य के सबसे अमीर निगमों से एक भिलाई निगम आर्थिक संकट से कैसे गुजर रहा है।
महापौर परिषद की बैठक में महापौर नीरज पाल ने फैसला लिया। उन्होंने कहा कि यह फैसला दीपावली त्यौहार को देखते हुए अधिकारी/कर्मचारियों के वेतन भुगतान को लेकर लिया जा रहा है। इस निर्णय को एमआईसी के सभी सदस्यों ने एक स्वर में स्वीकार भी कर लिया है। इसके बाद अब निगम ने इसके लिए संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को पत्र लिखा है।
महापौर नीरज पाल ने कहा कि नियमित अधिकारी/कर्मचारियों का वेतन सितंबर माह का जो अक्टूबर में मिलना होता है वह नहीं मिला है। जिसको देखते हुए महापौर परिषद ने सकारात्मक निर्णय लिया है। प्लेसमेंट कर्मचारियों का वेतन भी बकाया है। संचालनालय एवं शासन से अनुमति मिलते ही संचित निधि की उपलब्ध राशि में से इन्हें वेतन दे दिया जाएगा।
संचित निधि से निकाला जा रहा 9.84 करोड़ रुपए
वेतन का भुगतान करने के नाम पर निगम की संचित निधि से 9 करोड़ 84 लाख 18 हजार रुपए की राशि निकाली जा रही है। इस राशि से वेतन का भुगतान तभी किया जाएगा जब शसन से इसकी स्वीकृति मिल जाएगी।
भिलाई महापौर अपने ही दावे पर फेल
भास्कर ने एक महीने पहले 'छत्तीसगढ़ के सबसे कमाई वाले निगम का खजाना खाली' हेडलाइन से खबर प्रकाशित की थी। इसमें निगम के महापौर नीरज पाल ने दावा किया था कि 'भिलाई निगम कहीं से भी आर्थिक संकट से नहीं गुजर रहा है। किसे वेतन मिल रहा है किसे नहीं यह देखना शासन का काम है। रही बात स्थापना व्यय की तो भिलाई और कोरबा दो ही ऐसे नगर निगम हैं जो खुद की आय से यह खर्च वहन करते हैं। अगर कोई आरोप लगा रहा है कि भिलाई निगम की माली हालत खराब है तो वो गलत है।'
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