छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में रिसाली नगर निगम की हालत खराब है। यहां कर्मचारियों को वेतन देने के लिए मद पहले से ही नहीं था, लेकिन अब हालत यह हो गई है कि निगम, मुक्तिधाम में लकड़ी तक की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। इसके चलते कई शव अंतिम के लिए मुक्तिधाम में रखे रहे। अधिक देर होने पर परिजनों ने खुद 1 हजार रुपए क्विंटल में लकड़ी खरीदी उसके बाद अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की गई। यहां योजना है कि निगम 100 रुपए में अंतिम संस्कार के लिए पूरी लकड़ी देता है। इसका ठेका दिया गया है।
इस योजना के तहत पिछले कुछ दिनों से लकड़ी नहीं दिए जाने की शिकायत मिल रही थी। इसकी जानकारी निगम के अधिकारियों को पहले भी दी गई, लेकिन वहां से कोई कार्रवाई नहीं हुई। लिहाजा लोग खुद ही लकड़ी खरीद कर अंतिम संस्कार करते रहे। गुरुवार को यहां 4 शवों को लाया गया। इनमें से किसी के लिए भी यहां लकड़ी नहीं थी। जब अंतिम यात्रा में आए लोगों ने यह देखा तो उन्होंने हंगामा मचाना शुरू किया।
1000 रुपए क्विंटल में लकड़ी खरीदकर किया अंतिम संस्कार
अंतिम संस्कार के लिए रिसाली मुक्तिधाम पहुंचे एक परिजन ने बताया कि लकड़ी नहीं होने से अंतिम संस्कार में देरी हुई। वह 1 हजार रुपए क्विंटल में लकड़ी खरीद कर लाए तब अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी हुई। एक घंटे तक शव बिना अंतिम संस्कार के रखा रहा। इसे लेकर परिजनों में भी रोष है।
दो घंटे तक लकड़ी के लिए करते रहे विरोध
दो घंटे से शव को मुक्तिधाम में रखकर बैठे हैं। यहां लकड़ी न होने की बात कही गई। विरोध करने पर निगम ने व्यवस्था की तो गीली लकड़ी लाकर डाल दी गई। उससे आग भी नहीं जल रही थी। सुबह 11 बजे आए और अंतिम संस्कार दोपहर 1 बजे किया गया। हालत यह है कि विरोध करने के बाद भी निगम का कोई जिम्मेदार अधिकारी झांकने तक नहीं पहुंचा।
पार्षद ने गंभीर आरोप लगाए
रिसाली निगम अंतर्गत प्रगति नगर वार्ड के भाजपा पार्षद धर्मेंद्र भगत ने कहा कि निगम सरकार पूरी तरह फेल है। शहर में सफाई व्यवस्था तो दूर वह अंतिम संस्कार तक की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। निगम की अनदेखी के चलते रिसाली मुक्तिधाम मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। यहां की निगम सरकार और उनके एमआईसी सदस्य काम नहीं कर रहे हैं। मुक्तिधाम में परिवारजन इस दुनिया से जा चुके अपनों का अंतिम तक नहीं कर पा रहे हैं। उनके लिए वहां लकड़ियों तक की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। निगम ने इस व्यवस्था के लिए जिसे टेंडर दिया है वह सही से कार्य नहीं कर रहा है। इसके बाद निगम के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदकर बैठे हैं।
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