गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में हमर तिरंगा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शहीद जवानों की शहादत को नमन करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार हर जिला मुख्यालय में इस कार्यक्रम को आयोजित कर रही है। शनिवार को पुलिस नियंत्रण कक्ष में आयोजित हमर तिरंगा कार्यक्रम में शहीद प्रधान आरक्षक शिवनारायण बघेल को याद किया गया।
इस कार्यक्रम में उनके बेटे कौशलेंद्र सिंह बघेल और बहू मौजूद रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत शहीद शिवनारायण बघेल के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके बाद उनकी जीवनी का वाचन किया गया। इस अवसर पर सभी अतिथियों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर अपनी भावनाएं व्यक्त की।
एसपी आई कल्याण एलिसेला ने शहीद शिवनारायण बघेल को लेकर कई बातें साझा कीं। जिस वक्त शिवनारायण बघेल की पोस्टिंग बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर में थी, उस दौरान किस तरह से उन्होंने नक्सलियों से लोहा लिया, इसका जिक्र भी उन्होंने किया। एसपी ने कहा कि एक 58 वर्षीय पुलिस का जवान जब ऐसे मौकों पर मुठभेड़ में 27 गोली खा रहा है, तो निश्चित ही वे उस टीम को लीड कर रहे होंगे। उनकी इस बहादुरी के कारण ही कम-से-कम 20 जवानों की जान बच सकी। उन्होंने गोलियां अपने सीने पर खाईं और बाकियों की सुरक्षा की।
शहीदों को श्रद्धांजलि
पुलिस अधीक्षक एलिसेला ने देश और राज्य की सुरक्षा के लिए कुर्बान हुए शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा। शहीद शिवनारायण बघेल के बेटे कौशलेंद्र बघेल और पुत्रवधू को शॉल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया।
पुलिस-प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी रहे मौजूद
हमर तिरंगा कार्यक्रम में जिले के जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पुलिस अधिकारी भी शामिल रहे। अतिरिक्त कलेक्टर एक्का, ASP अर्चना झा, SDM पुष्पेंद्र शर्मा, अनुविभागीय अधिकारी अशोक वाडेगावकर, SDOP आई तिर्की, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार के साथ पुलिस एवं राजस्व के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।
शिवनारायण बघेल 2007 में हुए थे शहीद
साल 2007 में शिवनारायण बघेल नारायणपुर में सीएएफ में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ थे. 16 जनवरी 2007 को छोटे डोंगर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने 6 व्यक्तियों की निर्मम हत्या कर दी थी. इसकी सूचना मिलने पर वे टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। इस दौरान नक्सलियों ने घेरकर फायरिंग शुरू कर दी। ऐसे मुश्किल हालात में शिवनारायण बघेल ने नक्सलियों की 27 गोलियां खाईं, लेकिन बाकी जवानों को बचा लिया।
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