पूर्वांचल का लोक पर्व छठ पूजा के लिए दीपावली समाप्त होते ही तैयारी शुरू हो गई है ।छठ घाटों की सफाई का कार्य तेजी से किया जा रहा है ताकि व्रतियों को किसी तरह से कोई परेशानी न हो। छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली पूजा सामग्री की दुकानें सजने लगी है । इस बार 28 अक्टूबर को नहाय-खाय से छठ पर्व शुरू हो रहा है । दूसरे दिन 29 अक्टूबर को खरना , 30 अक्टूबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा व 31अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद यह पूजा संपन्न होगी।
चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व में कई तरह के प्रसाद बनाये जाते है और कई पूजा सामग्रियां महत्वपूर्ण होती है लेकिन घाट ले जाने के लिए तैयार किये जाने वाले सूप और डलिया का छठ पर्व में विशेष महत्व होता है, इसके बिना छठ पूजा अधूरी होती है ।इसमें छठ का प्रमुख प्रसाद ठेकुआ से लेकर कई तरह के फल और चींजे शामिल होती है । जिले में बिहार उत्तरप्रदेश , झारखंड के अलावा स्थानीय लोग भी बड़े उत्साह से इस लोक आस्था के पर्व को मनाते है ।
चांपा के हसदेव तटपर पूजा की तैयारी में भोजपुरी समाज के लोग जुट गए हैं। छठ पूजा का विशेष महत्व है और मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है. इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा करने की सलाह दी थी तभी से महिलाएं यह व्रत कर रही हैं।
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