मौसम विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ में 5 जून से 7 जून के बीच मानसूनी बारिश होने की संभावना जताई जा रही है, जिसके मद्देनजर किसानों ने खरीफ की तैयारी शुरू कर दी है। समितियों में खाद व बीज का भंडारण भी किया जा रहा है, लेकिन इस साल कृषि कार्य भी भी महंगी की मार पड़ने लगी, क्योकि पोटाश, सुपर फाॅॅस्फेट और डीएपी खाद की कीमतें डेढ़ से दोगुनी बढ़ी कीमतों पर बिक रही है। हालांकि यूरिया की कीमत पहले की तरह स्थिर है, लेकिन डीएपी में 150 रुपए पोटाश में 1080 रुपए तक प्रति बोरी दाम बढ़ोत्तरी कर बाजारों में बिक्री की जा रही है। साथ ही ईधन के दाम पहले से बढ़े हुए
इसके कारण पिछले साल की अपेक्षा इस साल किसानों की मुश्किलें बढ़ने वाली है। जिले की सर्वाधिक सिंचित होनेके कारण अधिकांश किसान खरीफ वर्ष में धान की फसल लेते हैं। रबी में भी अधिकांश किसान धान का ही उत्पादन करते हैं। मानसून आते ही बाजारों में खाद, बीज की पूछपरख बढ़ने लगी है। मानसून आने में महज कुछ दिन ही शेष है, जिसके कारण किसान अभी से खरीफ फसल की तैयारी में जुट गए हैं, लेकिन पेट्रोल, डीजल के बाद अब खेती पर भी इस बार महंगाई की मार पड़ेगी। सरकार ने पोटाश के दाम में 1080 रुपए तो डीएपी के रेट में 150 रुपए तक वृद्धि की है। इधर डीजल महंगा होने की वजह से खेत की जुताई कराना भी महंगा होगा। किसानों का कहना है कि पिछले साल उन्हें प्रति एकड़ 14 हजार रुपए तक खर्च आए थे, जो इस खेती में खर्च 18 से 20 हजार रुपए तक आने की संभावना है। इस कारण इस साल खेती को लेकर किसानों की परेशानी बढ़ सकती है।
पिछले साल सीजन में डीजल 85 रु लीटर इस साल 103
किसान तेजबहादुर सिंह ने बताया कि पिछले साल डीजल का रेट 85 रुपए के करीब था, वह अब 103 रुपए के पार कर दिया है। इस वजह से खेत जुताई का रेट बढ़ा सकती है। खेत में काम करने वाले मजदूर भी अब ढाई सौ तीन सौ रुपए ले रहे हैं। इसके साथ ही महंगाई बढ़ जाने के कारण खेत में काम करने वाले मजदूर अब 200 से 250 रुपए से कम में काम नहीं करना चाहते।
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