त्रिवेणी संगम में गंगा जमुना एवं सरस्वती का मिलन होता है मिलन में गंगा जमुना तो दिखाई देती है लेकिन सरस्वती को कोई नहीं देख पाता, सरस्वती को देखने के लिए कई बार प्रयास करने पड़ते हैं लेकिन सफलता नहीं मिलती इसी तरह गीता में विज्ञान, वैराग्य और भक्ति है लेकिन विज्ञान और वैराग्य तो दिखाई देता है लेकिन भक्ति नहीं दिखाई देती भक्ति को देखने के लिए लीन होना पड़ता है। यह बातें ग्राम रसेड़ा में निर्मलकर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ कथा में चित्रकूट धाम के कथावाचक पंडित कृष्ण गोपाल शास्त्री ने कही।
पं कृष्ण गोपाल शास्त्री ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए बताया कि कलयुग में भागवत की कथा सुनने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होता है, वहीं उसके सारे कष्ट दूर होते हैं, जीवन जीना सीखना है तो श्री रामायण से सीखो और मरण सीखना है तो भागवत गीता से सीखना चाहिए।
उन्होंने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी तो भगवान श्री कृष्ण को अवतरित होना पड़ा, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को रात्रि 12 बजे हुआ, कंस ने अपने पिता उग्रसेन को बंदी बनाने के साथ अपनी बहन देवकी एवं बहनोई वासुदेव को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया। एक-एक करके उसने अपनी बहन देवकी के छह पुत्रों की हत्या कर दी। सातवें गर्भ में खुद शेषनाग के आने पर योग माया ने देवकी के गर्भ से निकालकर वासुदेव की पहली पत्नी रोहणी के घर में स्थापित कर दिया।
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