कन्हाईबंद में करीब दो साल पहले महावीर कोलवॉशरी शुरू हुई थी। इस वॉशरी के संचालक ने यहां सरकारी जमीन ले ली, बदले में उसने गांव वालों को करीब दस फीट गहरी जमीन दी। कोलवॉशरी संचालक ने यहां सरकारी नाला पर भी कब्जा कर लिया है। उसे पूरी तरह से पाट दिया है। वॉशरी के दूसरी ओर के खेतों की सिंचाई के लिए पंप से पानी दिया जाता है। भेंट मुलाकात कार्यक्रम में सिवनी पहुंचे सीएम ने वॉशरी को जमीन आवंटित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई।
15 मार्च को पर्यावरणीय जनसुनवाई होगी, इसे लेकर न सिर्फ कन्हाईबंद बल्कि आसपास के ग्रामीण भी विरोध करने की तैयारी में हैं। जांजगीर से करीब पांच किलोमीटर दूर ग्राम कन्हाईबंद में महावीर कोलवाशरी द्वारा कोल साइडिंग शुरू किया गया है, इसके अलावा वहां वॉशरी भी स्थापित की जा रही है।
साइडिंग व वॉशरी के लिए 17 एकड़ 26 डिसमिल सरकारी जमीन आवंटित है। इस स्थान पर फिलहाल 0.99 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता से काम किया जा रहा है, अब 2.48 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता से इसका विस्तार किया जा रहा है। सरपंच एकता तिवारी ने बताया कि कौलवॉशरी के संचालक द्वारा पूर्व में गहरी जमीन दी गई थी उसे अब लेबल कराया गया है। अब विस्तार किया जा रहा है, उसका ग्रामीणों द्वारा विरोध किया जा रहा है। पूर्व में भी हाईकोर्ट में मामला अब लंबित ही है।
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