जिले में कुष्ठ रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इस सत्र में अप्रैल से सितंबर तक 359 कुष्ठ मरीज मिल चुके हैं। जिसमें पीबी (पाली बेसलरी) के 64 व एमबी (मल्टी बेसलरी) के 295 मरीज शामिल है। मरीजों का इलाज चल रहा है। बीमारी नियंत्रित हो इसके लिए जिले के सभी ब्लाक मुख्यालयों में कुष्ठ निवारण ईकाई संचालित है। जिला अस्पताल में कुष्ठ का ऑपरेशन सर्जन नहीं होने के कारण नहीं हो पाता, इसलिए मरीजों को चांपा के मिशन अस्पताल या फिर रायपुर भेजना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल से लेकर अब तक डभरा में 2, बम्हनीडीह में 1, पामगढ़ में 2, और नवागढ़ में 1 मरीज का आरसीएसी किया गया है।
सर्वे और जागरूकता की कमी इसलिए बढ़ रहे केस
कोरोना संक्रमण की वहज से पिछले दो साल में सर्वे और प्रचार-प्रसार नहीं होने से मरीजों की संख्या कम हो गई है। सितंबर के बाद से विभाग द्वारा ब्लॉक वार और ग्रमीण क्षेत्र में डोर टू डोर सर्वे शुरू किया जा रहा है। जिसके कारण मरीज ज्यादा मिलने लगे हैं।
इनका का होता है ऑपरेशन
कुष्ठा रोग के उन्हीं मरीजों की आईसीएस होती है जो 6 या 12 महीने की दवा खाए होते हैं। क्योंकि इस सर्जरी से पहले नसों को डैमेज करने वाले बैक्टीरिया की ताकत कम करना होता है। पूरी दवा खाने वाले व्यक्ति में बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।
इसलिए ऑपरेशन जरूरी
कुष्ठ रोग के बैक्टीरिया चूंकि नसों को डैमेज करते हैं। इसलिए पीड़ित की उंगलियां टेढ़ी हो जाती है। रिकंसट्रक्टिव सर्जरी में डैमेज हो चुकी नसों को ही ठीक करते हैं। इसके बाद आंशिक तौर से डैमेज हो चुकी नसों से ब्लड आपूर्ति होने लगती है।
बीडीएम में व्यवस्था की गई है, ऑपरेशन हो रहे
कुष्ठ रोगियों की संख्या बढ़ी है इसका कारण पिछले दो साल से सर्वे व इलाज नहीं हो रहा था, लेकिन अब चांपा बीडीएम अस्पताल में ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सर्वे शुरू होने के बाद मरीजों की पहचान हो रही है। लोगों को जागरूक होकर शरीर में खुजली या समस्या होने पर जांच कराना चाहिए। -डॉ. आरएल ठाकुर, जिला कुष्ठ अधिकारी
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