सक्ती जिले में दिवाली की तैयारियां जोरों पर हैं। बाजारों में भीड़ उमड़ रही है, लेकिन रिहायशी इलाकों में पटाखों के अवैध भंडारण पर पुलिस-प्रशासन आंख मूंदे बैठी है। इस साल दिवाली में करीब 10 करोड़ रुपए के पटाखों का व्यापार जिले में होने का अनुमान है।
इस बार पंडित दीनदयाल स्टेडियम परिसर में पटाखा व्यापारी संघ की ओर से दुकान लगाई जाएगी। लॉटरी के माध्यम से 30 दुकान आवंटित की गई है। लेकिन परेशानी की बात ये है कि कई रिहायशी इलाकों में भी कारोबारियों ने गोदाम बना रखे हैं, जहां पटाखों का अवैध भंडारण किया गया है। विस्फोटक अधिनियम के तहत पटाखा का भंडारण मैदानी क्षेत्र में किया जाना है, ताकि किसी तरह की आगजनी होने पर कोई जनहानि नहीं हो।
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि शहर में भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से व्यापारी अपने घर या आसपास के गोदाम में पटाखा रख रहे हैं। इससे पटाखा रिहायशी और बाजार इलाके में ही जमा हो रहा है। इस दौरान कई ग्राहक थोक में ही माल उठा लेते हैं, इसलिए व्यवसायी अपने घर या गोदाम से ही पटाखों का विक्रय करेगा। बुधवारी बाजार दुल्हन साड़ी के पास, हटरी, स्टेशन रोड समेत कई भीड़भाड़ वाले इलाके हैं, जहां पटाखों का अवैध भंडारण और बिक्री जारी है।
बड़ी बात ये है कि सक्ती जिले में अब तक अवैध पटाखा भंडारण करने वालों पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है, जबकि अन्य जिलों में लगातार कार्रवाई की जा रही है। सक्ती के अलावा बाराद्वार, मालखरौदा, चंद्रपुर, जैजैपुर, हसौद जैसे रिहायशी इलाकों में भी अवैध पटाखा भंडारण कर व्यापारी इसकी धड़ल्ले से बिक्री कर रहे हैं। हालांकि ASP गायत्री सिंह ने आश्वासन दिया है कि रिहायशी इलाकों में पटाखों का अवैध भंडारण करने वालों के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि पटाखों का भंडारण करना कारोबारी दीपावली के महीनेभर पहले ही करना शुरू कर देते हैं, उसके बावजूद सक्ती पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। इधर शहर में बड़ी मात्रा में पटाखा स्टॉक किया गया है। लेकिन लगता है कि लाइसेंस में उल्लेखित क्षमता और शर्तों के अनुसार इनका वेरिफिकेशन करने का समय प्रशासन के पास नहीं है। जिला मुख्यालय में ही स्टेशन रोड से कचहरी चौक तक आधा दर्जन स्थायी लाइसेंसधारी हैं, जिनके आसपास होटल, इलेक्ट्रानिक दुकान और रेस्टारेंट संचालित है।
जिनके पास स्थाई लाइसेंस हैं, वे भी नियम-कानून का उल्लंघन करते हुए घनी बस्ती के भीतर ही पटाखा स्टोर कर रखे हैं। सुरक्षा के लिए न तो रेत है और न ही फायर ब्रिगेड की व्यवस्था। ऐसे में अगर एक चिंगारी भी भड़की, तो बड़ा हादसा हो सकता है।
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