किसानों को नुकसान:पानी से बचाने बराज से 17 किमी दूर लगाई फसल फिर भी दर्जन भर गांवों के किसानों की डूब गई पूरी फसल

शिवरीनारायण2 महीने पहले
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महानदी के कछार के मीठे व रसीले तरबूज खरबूज राज्य सहित पूरे देश में मशहूर हैं। महानदी के दोनों किनारों में बसे शिवरीनारायण, गिधौरी, थरहीडीह, खोरसी, देवरी, झबड़ी, मड़कड़ा, झबड़ी, धमलपुर, बलौदा, खैरा, पिकरी, छेछर सहित गांवों के कछारों में तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी सहित अन्य सब्जियों की बड़ी मात्रा में खेती होती है। जिनकी सप्लाई प्रदेश सहित देश भर में होती है। बराज से 17 किमी दूर किसानों ने इसलिए फसल लगाई थी कि वहां तक पानी नहीं पहुंचेगा, लेकिन पानी ने वहां भी फसल को बर्बाद कर दिया है।

थरहीडीह के किसान कमलदास वैष्णव ने बताया महानदी के कछार में किसान दिसम्बर व जनवरी महीने में खेती शुरू करते हैं। जिसकी फसल अप्रैल व मई महीने में तैयार होकर निकलती है। उन्होंने बताया 22 दिसम्बर से शिवरीनारायण बराज के सभी गेट बंद हैं। जिसकी वजह से महानदी का जलस्तर बढ़ा है। बढ़े जलस्तर से कछार डूबने के कारण शिवरीनारायण, गिधौरी, देवरी, खोरसी के किसान इस वर्ष खेती नहीं कर पाए।

धमलपुर, खैरा, बलौदा, झबड़ी, पिकरी व छेछर के किसानों ने उतनी दूर पानी नहीं पहुंचने की आशंका में फसल लगाई थी। छेछर में किसानों द्वारा महानदी के कछार में लगभग पांच सौ एकड़ में तरबूज, खरबूज सहित अन्य सब्जियों के फसल लगाई गई है। इन दिनों महानदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से आधी फसल डूबकर बर्बाद हो गई है। अभी भी महानदी का जलस्तर बढ़ रहा है। यदि शिवरीनारायण बराज के गेट नहीं खोले गए तो एक हफ्ते के अंदर पूरी फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो जाएगी।

400 में खीरा, ककड़ी व एक हजार एकड़ में तरबूज, खरबूज
महानदी के लगभग एक हजार एकड़ में तरबूज व खरबूज व लगभग चार सौ एकड़ में खीरा, ककड़ी, करेला, बरबट्टी, मखना, आलू, प्याज सहित अन्य सब्जियां लगाईं थीं। लेकिन बैराज के गेट बन्द होने के कारण महानदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से पूरी फसल डूबकर चौपट हो गई। जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। बैराज से छेछर गांव की दूरी 17 किलोमीटर है। दूरी ज्यादा होने से पानी नहीं पहुंचने की आशंका में ज्यादा खेती इस वर्ष छेछर में ही हुई।