कांकेर जिले के ग्राम लाल माटवाड़ा में एक फीमेल डॉग 'डेजी' ने अपने मालिक की जान भालू से बचा ली। जिसने भी डेजी की इस कोशिश को देखा, वो हैरान रह गया। अपने मालिक की रक्षा के लिए डेजी खुद से ज्यादा शक्तिशाली जानवर से भी लोहा लेने में नहीं हिचकिचाई और आखिरकार भालू भी उससे घबराकर भाग गया। मामला कांकेर थाना क्षेत्र का है।
अब फीमेल डॉग डेजी के अपने मालिक को बचाने का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। ग्राम लाल माटवाड़ा के रहने वाले रोशन साहू के घर मंगलवार को भालू घुस गया था। भालू रोशन साहू के ठीक सामने आकर खड़ा हो गया था और हमला करने को तैयार था, लेकिन तभी उसकी फीमेल डॉग डेजी वहां पहुंच गई और उसने मालिक पर आए खतरे को भांप लिया। वो जोर-जोर से भौंकने लगी और भालू के ठीक सामने आ गई। डेजी ने भी भालू पर आक्रमण कर दिया और उसे दौड़ाने लगी।
शुरू में तो भालू ने भी रुककर डेजी पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन डेजी की हिम्मत के आगे आखिरकार वो भागने को मजबूर हो गया। इधर कुत्ते और उसके मालिक की आवाज सुनकर आसपास के भी लोग वहां आ गए और वे डेजी को भालू को भगाते देखकर हैरान रह गए। लोगों ने कहा कि कुत्ते वफादार होते हैं और अपने मालिक के लिए जान भी दे सकते हैं, लेकिन आज उन्होंने अपनी आंखों से इसे देख भी लिया। कुछ ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें 80 के दशक में आई फिल्म 'तेरी मेहरबानियां' की याद आ गई, जिसमें कुत्ते मोती ने मालिक की हत्या का बदला हत्यारों से लिया था।
पूरे गांव में सिर्फ फीमेल डॉग डेजी की बहादुरी की तारीफ हो रही है। मालिक रोशन साहू ने कहा कि अगर आज डेजी नहीं होती, तो उन्हें कुछ भी हो सकता था। उनकी जिंदगी बचाने वाली उनकी प्यारी फीमेल डॉग ही है।
गांव के ही रूपेश कोर्राम ने कहा कि जंगल से भालू गांव की बस्ती में आते रहते हैं। इससे लोग काफी डरे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि हर बार केवल सतर्क रहने की समझाइश देकर वन विभाग के कर्मचारी चले जाते हैं, लेकिन भालुओं से जान-माल की रक्षा के लिए वे कुछ नहीं कर रहे हैं।
लगातार रिहायशी इलाकों में घुस रहे हैं भालू
ग्राम लालमाटवाड़ा के पटेलपारा में भालुओं की दहशत है। सुबह-शाम भालू लोगो के घरों का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाते हैं। पटेल पारा बस्ती में 110 घर हैं, जिनमें से दो माह में भालू 50 घरों का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस चुके हैं और गुड़, चावल, चना खाने के साथ-साथ तेल भी चट कर चुके हैं। सांस्कृतिक भवन का दरवाजा भी भालू तोड़ चुके हैं। लाल माटवाड़ा से लगे जंगल में पांच भालू हैं, जो लगातार बस्ती पहुंच रहे हैं। डेढ़ माह पहले ग्राम पंचायत में आयोजित ग्राम सभा में भी ग्रामीणों ने वन विभाग के नाम आवेदन दिया, ताकि भालुओं से उनकी रक्षा हो सके, लेकिन वन विभाग ने इस पर कुछ नहीं किया।
मावली नगर में घूमते हुए दिखाई दिए थे 3 भालू
10 दिन पहले 30 अक्टूबर को भी कांकेर जिले के मावली नगर में 3 भालू घूमते हुए दिखाई दिए थे। नरहरपुर तहसील के ग्राम दुधावा कैम्पपारा में भी भालू राशन की दुकान में घुस गया था और खिड़की-दरवाजे तोड़कर वहां रखा आटा, चावल और तेल चट कर चला गया था। वहीं झिपटोला के दुर्गा मंच पर भी रोज भालू पहुंच रहा है। रिहायशी इलाकों में भी शाम होते ही भालू घुस जाता है, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है। लोगों का कहना है कि अगर कभी इसने किसी पर हमला कर दिया, तो क्या होगा?
वहीं 28 अक्टूबर की रात को भी दसपुर गांव में शासकीय उचित मूल्य की दुकान का शटर तोड़कर भालू अंदर घुस गया था। भालू ने वहां रखे नमक की बोरी को तहस-नहस कर दिया था। करीब 40 पैकेट नमक वहां बिखरा पड़ा मिला था। भालू 8 पैकेट गुड़ भी चट कर गया था।
31 अक्टूबर को भी कांकेर शहर में 3 भालू घूमते नजर आए थे। इन भालुओं के घूमने का वीडियो भी सामने आया था। लोगों की भीड़ को देखकर भालू आगे बढ़ गए थे। बाद में रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाईवे पर भी एक भालू पहुंच गया था। ये सभी भालू वहां से आमापरा में पहुंचे और एक खंडहर में घुस गए थे।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.