बस्तर संभाग में 2 दिसंबर से माओवादियों का PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) सप्ताह शुरू हो गया है, जो 8 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान नक्सली पीएलजीए की 23वीं वर्षगांठ मनाएंगे।भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है। अभी सभी पार्टियों के नेता चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उपचुनाव के बीच नक्सलियों का PLGA सप्ताह पड़ने से पुलिस-प्रशासन अलर्ट है।
भानुप्रतापपुर विधानसभा के अंतर्गत 17 अति संवेदनशील मतदान केंद्र हैं, ऐसे में सुरक्षाबल के जवान जगह-जगह तैनात हैं, ताकि नक्सली किसी अप्रिय घटना को अंजाम नहीं दे सकें। हाल ही में कांकेर जिले में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस को मिली बड़ी सफलताओं से नक्सली संगठनों में बौखलाहट है। दो बड़े नक्सली लीडरों को हाल ही में पुलिस ने मार गिराया था। जिसके बाद से नक्सली जिले में लगातार उत्पात मचाने की कोशिश कर रहे हैं। इधर उपचुनाव को देखते हुए पुलिस और सुरक्षाबलों ने सर्च अभियान तेज कर दिया है।
कई जगहों पर लगाए बैनर
नक्सलियों ने कई जगहों पर बैनर-पोस्टर लगाकर पीएलजीए सप्ताह जोर-शोर से मनाने का ऐलान किया है। कांकेर जिला मुख्यालाय से महज 10 किलोमीटर दूर मर्दापोट्टी में नक्सलियों ने बैनर लगाया था, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है। हालांकि पुलिस ने बैनर-पोस्टर जब्त कर लिया है।
पेट्रोलिंग बढ़ाई गई
कांकेर एसपी शलभ सिन्हा ने कहा कि उपचुनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। सर्च ऑपरेशन तेज कर दिए गए हैं, नक्सलियों के सप्ताह को देखते हुए भी सभी थाने अलर्ट पर हैं। बता दें कि पिछले 7 दिनों में बस्तर संभाग के सुकमा और बीजापुर जिले में हुई कुल 3 मुठभेड़ों में 4 नक्सलियों को ढेर किया गया है। जबकि, 1 जवान ने शहादत दी है। वहीं 3 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
PLGA सप्ताह में नक्सली सालभर की अपनी कामयाबी, विफलताओं, संगठन को मजबूती देने समेत अन्य बातों का बखान करते हैं। गांव-गांव में बैठक और सभा कर सदस्यों को भी जोड़ते हैं। इसके अलावा किसी न किसी तरह की वारदात को भी अंजाम देते हैं। नक्सली PLGA सप्ताह के दौरान अपने सालभर के आंकड़ों को भी सार्वजनिक करते हैं। नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी के नेता अभय ने कुछ दिन पहले प्रेस नोट जारी किया था। अभय ने बताया था कि पिछले दिसंबर 2021 से नवंबर 2022 तक इस 1 साल में देश भर में उनके 132 नक्सली मारे गए हैं। उनके संगठन ने करीब 31 जवानों को शहीद और 154 जवानों को घायल किया है। वहीं 69 पुलिस की मुखबिरी करने के लिए हत्या की गई है।
भानुप्रतापपुर उपचुनाव में शांतिपूर्ण मतदान लक्ष्य
भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिए मतदान में बस 2 दिन बाकी रह गए हैं। 5 को वोटिंग और 8 दिसंबर को काउंटिंग होगी। पुलिस का फोकस शांतिपूर्ण मतदान कराने को लेकर है, क्योंकि नक्सली इस दौरान उत्पात मचाने की पूरी कोशिश करेंगे।
प्रदेश में चार सालों में पांचवीं बार हो रहा है उपचुनाव
छत्तीसगढ़ के 22 सालों में अब तक 13 बार उपचुनाव हो चुके हैं। अब तक सबसे अधिक चार उपचुनाव 2008-13 के दौर में हुए। उस समय देवव्रत सिंह के सांसद बन जाने से खाली खैरागढ़ सीट पर उपचुनाव हुए। केशकाल में महेश बघेल, भटगांव में रविशंकर त्रिपाठी और संजारी बालोद में मदनलाल साहू के निधन के बाद उप चुनाव की नौबत आई। 2018 से 2023 के पहले चार सालों में चार उपचुनाव पहले ही हाे चुके हैं। पहला उपचुनाव दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या के बाद कराया गया। दीपक बैज के सांसद चुन लिए जाने पर चित्रकोट में नया विधायक चुना गया। अजीत जोगी के निधन से खाली मरवाही विधानसभा और देवव्रत सिंह के निधन से खाली खैरागढ़ में उपचुनाव हुआ है। पिछले चार सालों में यह पांचवां उपचुनाव होगा। इस लिहाज से यह भी अपने आप में रिकॉर्ड है।
16 अक्टूबर को मनोज मंडावी का निधन हुआ था
भानुप्रतापपुर से कांग्रेस विधायक और आदिवासी समाज के प्रभावशाली नेताओं में से एक मनोज सिंह मंडावी का 16 अक्टूबर को निधन हो गया। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। अस्पताल पहुंचने तक उनका निधन हो चुका था। उनकी अन्त्येष्टि में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित प्रदेश कांग्रेस का पूरा नेतृत्व उनके पैतृक गांव नथिया नवागांव पहुंचा था। प्रदेश में राजकीय शोक घोषित हुआ। उनके निधन के बाद विधानसभा में उनकी सीट को रिक्त घोषित कर कर निर्वाचन आयोग को सूचना भेजी गई थी।
छत्तीसगढ़ की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा साहब कंगाले ने बताया था कि भानुप्रतापपुर सीट के लिए 256 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। जहां एक लाख 97 हजार 535 मतदाता अपने वोट डालेंगे। इनमें से 95 हजार 186 पुरुष, एक लाख 491 महिला और एक तृतीय लिंग का मतदाता है। यहां 69 केंद्र नक्सल प्रभावित इलाकों में हैं। इस बार यहां पांच संगवारी मतदान केंद्र बनाए जाने हैं, जो पूरी तरह महिला मतदान कर्मियों से संचालित होंगे। वहीं 5 आदर्श मतदान केंद्र भी बनाए जाएंगे। पिछले चुनाव में भी मतदान केंद्रों की संख्या 256 ही थी। 2018 के आम चुनाव में यहां एक लाख 90 हजार 164 वोटर पंजीकृत थे। यानी इन चार सालों में यहां पांच हजार 514 मतदाता बढ़े हैं।
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