कांकेर जिले के मावली नगर में रविवार शाम को 3 भालू घूमते हुए दिखे। रिहायशी इलाकों में इस तरह रोज भालुओं के देखे जाने से लोगों में दहशत है। नरहरपुर तहसील के ग्राम दुधावा कैम्पपारा में भी शनिवार शाम को भालू राशन की दुकान में घुस गया और खिड़की-दरवाजे तोड़कर वहां रखा आटा, चावल और तेल चट कर चला गया। मामला कांकेर थाना क्षेत्र का है।
वहीं झिपटोला के दुर्गा मंच पर भी रोज भालू पहुंच रहा है। रिहायशी इलाकों में भी शाम होते ही भालू घुस जाता है, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है। लोगों का कहना है कि अगर कभी इसने किसी पर हमला कर दिया, तो क्या होगा। उन्होंने वन विभाग पर भालुओं से बचाव के लिए कोई उपाय नहीं करने के आरोप लगाए।
वहीं शुक्रवार रात को भी दसपुर गांव में शासकीय उचित मूल्य की दुकान का शटर तोड़कर भालू अंदर घुस गया। भालू ने वहां रखे नमक की बोरी को तहस-नहस कर दिया। करीब 40 पैकेट नमक वहां बिखरा पड़ा मिला। वहीं भालू 8 पैकेट गुड़ भी खाकर चला गया। सुबह ग्रामवासियों को पता चलने पर उन्होंने फोन करके समिति अध्यक्ष हेमलता परते और विक्रेता सुमन बलवानी को इसकी जानकारी दी।
भालुओं के मोहल्ले में घुसने से लोगों में दहशत का माहौल है। वे घर से बाहर निकलने से भी डर रहे हैं। ग्रामीण मनोज कुमार सरोज ने बताया कि भालू कई बार सुनसान घरों में घुस जाते हैं और पूरा राशन खाकर चले जाते हैं। उसने बताया कि शुक्रवार को भालू एक ही दिन में 3 घरों के दरवाजे तोड़कर अंदर घुस आया। अगर यही हाल रहा तो कभी भी बड़ा नुकसान हो सकता है और जनहानि भी हो सकती है। गांववालों का कहना है कि वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है और शिकायत करने पर केवल सतर्क रहने की हिदायत दे दी जाती है।
डुमाली में दिखा तेंदुआ
शनिवार 29 अक्टूबर की रात को ही कांकेर से 4 किलोमीटर दूर डुमाली में तेंदुआ भी नजर आया है। शहर से सटे इलाकों में लगातार तेंदुए की दहशत देखी जा रही है। सोमवार 24 अक्टूबर की रात भी शहर से नजदीक दो गांवों में तेंदुए सड़क किनारे घूमते हुए दिखाई दिए थे। जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर नरहरपुर मार्ग पर डुमाली गांव के पास 3 तेंदुए सड़क किनारे घूमते दिखे थे। सिदेसर गांव के पास भी एक तेंदुआ नजर आया था। इसके अलावा चारामा वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम साराधुनवागांव में भी रविवार 23 अक्टूबर को तेंदुआ देखा गया था।
वहीं 23 अक्टूबर की शाम को गोंडवाना समाज बड़गांव सर्कल अध्यक्ष गणेश राम ध्रुव (32) निवासी उरपांजूर भी भालुओं के हमले में मारे गए थे। उन पर मादा भालू और उसके दो बच्चों ने हमला कर दिया था। वे मवेशियों को चराकर वापस लौट रहे थे। वहीं 25 अक्टूबर को बंदरों ने एक महिला पर हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया था। जिसके बाद महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इन जंगली जानवरों ने जिला मुख्यालय से लेकर गांवों तक जमकर उत्पात मचाकर रखा है।
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