छग-महाराष्ट्र सीमा पर बसा है 50 परिवारों वाला छोटा-सा गांव ताड़वायली। 28 जुलाई 1984 को अविभाजित मध्यप्रदेश में इसी गांव में सबसे पहली पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हुई थी। मुठभेड़ में तब का बड़ा नक्सली नेता गणपति पुलिस के हाथों मारा गया था। गणपति की याद में नक्सलियों ने गांव में स्मारक बनाते हुए पूरे प्रदेश में इसी तारीख से शहीदी सप्ताह मनाना शुरू किया। 2010 के बाद अंदरूनी गांव में कैम्प शुरू होने लगे तो नक्सली ताड़वायली के आसपास अड्डा बनाने लगे।
2016 में पुलिस ने गांव से 7 किमी दूर मरवेड़ा में बीएसएफ कैम्प खुलवाया। फोर्स की सुरक्षा में इसी साल गांव तक पक्की सड़क तैयार हो चुकी है। गांव में 4जी के जरिए पैसों का लेनदेन भी ऑनलाइन हो रहा है।
नक्सलियों ने टावर जलाया ग्रामीणों ने खुद शुरू कराया
इसी साल जब नक्सलियों ने टावर में आग लगा दी तो ग्रामीणों को यह इतना नागवार गुजरा कि वे सीधे 7 किमी दूर मरवेड़ा बीएसएफ कैम्प पहुंच गए और टावर शुरू कराने आवेदन दिया। इसके बाद मरम्मत कर टावर शुरू कराया गया।
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