कांकेर जिले के बड़गांव थाना क्षेत्र में भालुओं के हमले से आदिवासी नेता गणेश ध्रुव की दर्दनाक मौत हो गई। घटना ग्राम उरपांजुर की है। सोमवार को गोंडवाना समाज बड़गांव सर्कल अध्यक्ष गणेश ध्रुव मवेशियों को चराने जंगल में गए हुए थे, जब वे शाम में वापस लौट रहे थे, तभी उन पर भालुओं ने अचानक से हमला कर दिया।
भालुओं ने गणेश ध्रुव के चेहरे को नोच लिया और पैरों पर भी बुरी तरह से काट लिया। भालू के हमले से आदिवासी नेता पूरी तरह लहुलूहान हो गए। 3 भालुओं के एक साथ हमला करने से वे संभल नहीं पाए। गंभीर रूप से घायल नेता ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। सूचना मिलते ही मौके पर वन विभाग की टीम पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। इधर गांव में घटना से दहशत का माहौल है।
वहीं शहर से सटे इलाको में अब भालू के बाद तेंदुए की भी दहशत देखी जा रही है। सोमवार रात शहर से नजदीक दो गांवों में तेंदुए सड़क किनारे घूमते हुए दिखाई दिए। जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर नरहरपुर मार्ग पर डुमाली गांव के पास 3 तेंदुए बीती रात करीब 9 बजे सड़क किनारे घूमते दिखे। सिदेसर गांव के पास भी एक तेंदुआ नजर आया है। इसके अलावा चारामा वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम साराधुनवागांव में भी रविवार सुबह तेंदुआ देखा गया था।
गांववालों को देख तेंदुआ भागते हुए बीच बस्ती में आ पहुंचा था। यहां वो एक सुनसान मकान में जा घुसा था। इसकी जानकारी तत्काल ग्राम पंचायत ने वन विभाग चारामा को दी थी। वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी सहित कांकेर जिला प्रशासन के अधिकारी भी ग्राम सराधुनावागांव पहुंचे। ये घर सालों से बंद है और उसमें ताला लगा हुआ है। घरवाले किसी अन्य गांव में रहते हैं। हालांकि घर में ताला लगा हुआ है, लेकिन उसके एक हिस्से में ऊपर की ओर थोड़ी सी जगह अंदर आने के लिए थी। इसी से तेंदुआ घर में घुस गया था।
घर में घुसने से पहले तेंदुए ने 4 मुर्गियों और एक बिल्ली को अपना शिकार बनाया था। बड़ी मशक्कत के बाद तेंदुए को सुनसान घर से बाहर निकाला गया। इसके बाद तेंदुआ जंगल में चला गया। हालांकि वन विभाग की टीम तेंदुए के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए है। चारामा परिक्षेत्र के ग्राम जैसाकर्रा, सराधुनवागांव, रतेसरा, गोलकुंम्हडा इन जगहों पर बीते 1 महीने से तेंदुए की हलचल बढ़ गई है। यह तेंदुआ अकेला नहीं है, बल्कि इसके साथ दो और तेंदुए भी हैं।
बंदरों का भी आतंक
इधर कांकेर शहर में भालू और तेंदुए के बाद अब बंदरों का भी आतंक देखा जा सकता है। दीपावली के अगले दिन मंगलवार को भंडारी पारा वार्ड में भी बंदर रिहायशी इलाकों में देखे गए। कई बंदर तो घर के बाहर बनाई रंगोली पर भी बैठे दिखाई दिए। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे जंगली जानवरों से परेशान हैं, क्योंकि आए दिन जंगली जानवर गांव तो गांव अब शहरी इलाके में भी घुसने लगे हैं और इनसे जान और माल के नुकसान का खतरा हमेशा बना हुआ है।
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