खदान से चोरी का वीडियो वायरल होने के बाद जिले में एसईसीएल की खदानों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की कवायद चल रही है। लेकिन दूसरी ओर बंद बांकीमोंगरा खदान की सुरक्षा व्यवस्था दिव्यांग व अप्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों के भरोसे हैं। दरअसल बांकीमोंगरा खदान 4 साल पहले पूरी तरह से बंद हाे गई। जिसके बाद मशीन व वाहन पड़े रह गए। जो अब तक परिसर में पड़े हैं।
एसईसीएल ने 2 पाली में 2-2 सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगाई। जिसमें एक पाली में दिव्यांग कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है जो पैरालाइज्ड है। पहले वह एसईसीएल के दूसरे विभाग में था। पैरालिसिस होने के बाद उसे सुरक्षा में लगा दिया गया। उसके साथ दूसरे कर्मचारी भी अप्रशिक्षित है। जो मात्र डंडे के सहारे सुरक्षा करते हैं। बंद खदान में कबाड़ चोर स्क्रैप चोरी करने अक्सर पहुंचते हैं। भगाने पर भी वे नहीं भागते, उल्टे उनकी धमकी से सुरक्षाकर्मी डरकर बैठ जाते हैं। कुछ माह पहले बदमाश धरम सिंह को गिरोह के साथ गिरफ्तार हुआ था।
बंद खदान की सुरक्षा में लापरवाही
सीएसपी दर्री लितेश सिंह के मुताबिक एसईसीएल की खदानों में चोरी रोकने सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण कर अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने बांकीमोंगरा के बंद खदान का निरीक्षण किया।
जहां पुरानी मशीन व गाड़ियां समेत अन्य उपकरण, स्क्रैप बिखरे मिले। खदान की घेराबंदी नहीं की गई है। सुरक्षाकर्मी भी अप्रशिक्षित थे जो सिविल कपड़े में ड्यूटी पर थे। एक के दिव्यांग होने की जानकारी मिली है। बंद खदान में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
पड़े-पड़े खराब हो रही मशीन-गाड़ियां
खदान को बंद हुए 4 साल होने के बाद भी वहां लगे मशीनों और नियोजित वाहनों को न तो दूसरे खदानों में शिफ्ट किया गया, न ही नीलामी। यहां तक की एक जगह एकत्रित करके सुरक्षित भी नहीं रखा गया है।
सुरक्षा कर्मी खदान के एक छोर पर बैठकर निगरानी करते हैं जबकि खदान चारों ओर से खुली है और मशीन, स्क्रैप जगह-जगह पड़े हैं। पुलिस ने खदान में पड़े मशीनों व वाहनों की नीलामी करवाने या सुरक्षित स्थान पर रखकर बेहतर सुरक्षा व्यवस्था करने कहा है।
5 माह में चोरी के करीब 100 केस दर्ज किए गए
एक ओर एसईसीएल ने पुलिस को 6 माह में 75 शिकायत करने का दावा किया है, दूसरी आर पुलिस ने 5 माह के भीतर एसईसीएल प्रबंधन द्वारा दर्ज कराए गए रिपोर्ट के अलावा स्वत: संज्ञान में लेकर अवैध रूप से कोयला व डीजल चोरी के करीब 1 सौ प्रकरण दर्ज करना बताया है, जिसमें डीजल चोरी के 67 व कोयला चोरी के 34 प्रकरण है जिसमें आरोपियों के खिलाफ विधिवत कार्रवाई भी की गई है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक पुलिस द्वारा स्वत संज्ञान लेकर दर्ज किए गए मामलों में एसईसीएल प्रबंधन से कोयला या डीजल के स्वामित्व के बारे में पूछे जाने पर प्रबंधन द्वारा पत्र का जवाब नहीं दिया जाता या चोरी नहीं होना लिखकर दे दिया जाता है। इस कारण ऐसे मामलों की विवेचना प्रभावित होती है।
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