छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने सोमवार को आदिवासी वर्ग को 32 प्रतिशत आरक्षण देने अध्यादेश लाने की मांग को लेकर कटघोरा बाइपास पर 3 घंटे तक चक्काजाम किया। इस दौरान कोरबा कटघोरा मार्ग पर आवाजाही पूरी तरह बंद रही। भारी वाहनों के पहिए थमे रहे। दोपहर 3 बजे मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद आंदोलन समाप्त हुआ। बिलासपुर हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई के बाद 50 फीसदी से अधिक आरक्षण देने को असंवैधानिक करार दिया है।
एसटी वर्ग के आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाया था, जिसके बाद से एसटी, एससी व ओबीसी वर्ग को दिए जा रहे आरक्षण प्रतिशत को मिलाकर प्रदेश में 58 फीसदी आरक्षण हो गया था। हाईकोर्ट के फैसले के बाद एसटी वर्ग के 32 फीसदी आरक्षण को बरकरार रखने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। आदिवासी समाज का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद आदिवासी वर्ग का आरक्षण 32 से 20 प्रतिशत रह गया है।
इसे यथावत रखने राज्य सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए। आरक्षण कम होने से इंजीनियरिंग, मेडिकल में प्रवेश का नुकसान हो रहा है। मांग को लेकर पूरे जिले से आदिवासी समाज के लोग रानी दुर्गावती चौक जेंजरा में जमा हुए और चक्काजाम कर दिया। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया था। मार्ग पर आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई। भारी वाहन इसी मार्ग से आवाजाही करते हैं। कोरबा आने के लिए लोगों को दीपका और बांकीमोगरा की ओर से आवाजाही करनी पड़ी।
एक मंच पर आए सभी दलों के जनप्रतिनिधि
आदिवासी समाज के जनप्रतिनिधि एक मंच पर नजर आए। कांग्रेस विधायक पुरुषोत्तम कंवर, रामपुर के भाजपा विधायक ननकीराम कंवर, जिला पंचायत अध्यक्ष शिवकला कंवर, श्यामलाल मरावी, गजराज सिंह कंवर, रामप्रसाद कोराम, गोंगपा के पूर्व जिला पंचायत सदस्य राय सिंह मरकाम समेत सभी दलों के पदाधिकारी मौजूद थे।
सीएम की अध्यक्षता में बैठक का प्रयास: कंवर
चक्काजाम में शामिल हुए विधायक पुरुषोत्तम कंवर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में बैठक हो, जिसमें आदिवासी वर्ग के सांसद, विधायक शामिल होकर अपनी मांग को रख सकें, इसके लिए प्रयास करेंगे। मुख्यमंत्री आदिवासियों के साथ हैं। राज्य सरकार इस मसले को लेकर अध्ययन कर रही है, सुप्रीम कोर्ट में भी लेकर जाएंगे।
32% आरक्षण की बहाली को लेकर सरकार आगे आएं
विधायक ननकीराम कंवर ने चर्चा के दौरान कहा कि आदिवासी समुदाय के 32 फीसदी आरक्षण की बहाली हो सके, इसके लिए प्रदेश सरकार आगे आएं। आदिवासी वर्ग के सांसद, विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि उनके समाज की मांग को लेकर प्रमुखता से रखेंगे। उम्मीद है कि जल्द इसकी बहाली हो जाएगी
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