स्वास्थ्य परीक्षण:विशेष संरक्षित जनजाति के 200 लाेगों की हुई जांच

चिरमिरी5 महीने पहले
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हर मनुष्य के जीवन में उसके स्वास्थ्य और शिक्षा की बढ़ती कमी उसको हर स्तर पर कमजोर बना रही है। देश के संविधान में सबसे बड़ी प्राथमिकता विशेष संरक्षित जनजाति पंडो जाति को दी गई है, पर जमीनी स्तर इनके उत्थान की पहल नजर नहीं आती है। रविवार को प्रोग्रेसिव यूटिलाइजेशन ऑफ रिसर्च एंड इकोनॉमिक्स ग्रुप की संस्था ने मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. सत्यजीत साहू समेत चिकित्सा टीम के साथ चिरमिरी से लगे ग्राम बहालपुर में पंडो जाति का स्वास्थ्य परीक्षण कर निशुल्क दवा बांटी। शिविर में 200 से अधिक ग्रामीणों समेत पंडो जनजाति की महिलाओं ने जागरूकता के साथ स्वास्थ्य परीक्षण कराया।

डॉ. साहू ने कहा कि संस्था के माध्यम से विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें स्वास्थ प्रति जागरूक करना उद्देश्य है, जिससे एक अच्छा स्वास्थ्य लाभ मिल सके। संस्था के माध्यम से लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में भी पहल करने की हर संभव कोशिश की जाएगी। कार्यक्रम में संस्था के सरगुजा संयोजक दिनेश यादव और शोएब ने पहल को अन्य विशेष संरक्षित जनजातियों के बीच पहुंचाने का संकल्प लिया।

संरक्षित जाति के लोगों में पोषक तत्व की कमी
डॉ. साहू ने बताया कि विशेष सुरक्षित जाति वाले ग्रामीणों की औसत आयु सामान्य से कम हो गई है। इसका मुख्य कारण पोषक तत्वों की कमी है और रूढ़ी विचारधारा है। इन्हें समय पर इलाज का लाभ नहीं मिल पाता। इनके उत्थान के लिए काम करना होगा। सरकार की योजनाएं क्षेत्र में कायम हैं, लेकिन इनके बीच जागरूकता की कमी है, जिसे बढ़ाना होगा। शिविर के बाद चिकित्सक टीम ने बताया कि संरक्षित जाति समुदाय के लोगों में मधुमेह की बीमारी बिल्कुल कम देखी गई। शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में शुगर के रोगी कम है।