छत्तीसगढ़ के बस्तर में सुरक्षाबल लगातार नक्सलियों के स्मारकों को ध्वस्त कर रहे हैं। जवानों ने इस बार सुकमा में माओवादी स्मारक को ध्वस्त किया है। ये कार्रवाई CRPF 74वीं बटालियन ने IED और ग्रामीणों की मदद से पोलमपल्ली इलाके के अरलमपल्ली गांव में की है। नक्सलियों के शहीदी सप्ताह के मद्देनजर जवानों का नक्सल प्रभावित इलाकों में सर्च अभियान जारी है।
28 जुलाई से 03 अगस्त तक शहीदी सप्ताह
जवानों ने नक्सल प्रभावित इलाकों में सर्च अभियान तेज किया है। कारण है नक्सली 28 जुलाई से 03 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाने वाले हैं। इसी वजह से CRPF 74वीं बटालियन, कोबरा 202 बटालियन और DRG के जवान सर्चिंग पर निकले थे। इसी दौरान CRPF के जवानों ने पोलमपल्ली इलाके के अरलमपल्ली गांव में नक्सलियों के स्मारक को देखा। इसके बाद जवानों ने स्मारक को ग्रामीणों की मदद से ध्वस्त करना शुरू किया। वहीं कुछ हिस्से को जवानों ने IED ब्लास्ट कर ध्वस्त कर दिया है। फिलहाल यह नहीं पता चल सका है कि यह स्मारक नक्सलियों ने किसी नक्सली की याद में बनवाया था।
जवानों को अलर्ट रहने निर्देश
जिले के अरलमपल्ली इलाकों में नक्सलियों के होने की खबर लगातार जवानों को मिलते रहती है। इससे पहल भी माओवादी इन इलाकों में कोई ना कोई घटना को अंजाम देते रहे हैं। नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी कर शहीदी सप्ताह बनाने की बात भी कही है। इसके चलते जवान लगातार नक्सल प्रभावित इलाकों में सर्च कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही दंतेवाड़ा में हुई मुठभेड़ के बाद यह पता चला था कि माओवादी शहीदी सप्ताह के दौरान किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में है। जिसके बाद से जवानों को अलर्ट रहने निर्देश दिए गए हैं।
नक्सली स्मारक को लगातार तोड़ रहे जवान
जवानों ने इससे करीब 2 महीने पहले बीजापुर और दंतेवाड़ा में DRG जवानों ने 5 नक्सली स्मारक को ध्वस्त किया था। इसके अलावा बीजापुर में भी जैगुर में एक और दरभा के जंगलों में 2 नक्सली स्मारक को जवानों ने तोड़ दिया था। इस प्रकार डेढ़ सालों में नक्सलियों ने दंतेवाड़ा में भी कई स्मारक ध्वस्त किए हैं।
दंतेवाड़ा में डेढ़ साल में इन नक्सलियों के स्मारक तोड़े गए
नक्सली स्मारक क्या है?
माओवादी नक्सली संगठन से जुड़े बड़े नक्सलियों की याद में नक्सली स्मारक बनाते हैं। यह स्मारक ऐसे नक्सलियों की याद में बनाए जाते हैं। जिनकी मुठभेड़ में मौत हो जाती है। इस तरह के माओवादियों को नक्सली शहीद मानते हैं और उनकी याद में स्मारक बना देते हैं। इसी तरह नक्सली शहीदी सप्ताह में भी मारे गए नक्सलियों को याद करते हैं और ग्रामीणों की सभा लेते हैं। शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में होते हैं।
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