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छत्तीसगढ़ में आज महात्मा गांधी के पहली बार रायपुर-धमतरी आगमन की 100वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। मुख्य समारोह संस्कृति विभाग के महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय सभागार में हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस आयोजन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ गांधी जी के दिखाए रास्ते पर आगे चल पड़ा है। बापू के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए राष्ट्रपिता की जयंती की 150वीं वर्षगांठ पर हमने सुराजी गांव योजना शुरू किया था।
इससे हमारे किसान और गांव आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। मजदूरों को लगातार काम मिल रहा है। छत्तीसगढ़ ने दुनिया को दिखा दिया कि गोबर से भी पैसा कमाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, महात्मा गांधी का जब भी कही आगमन होता था तो इसका असर सम्पूर्ण समाज पर पड़ता था। छत्तीसगढ़ के आदिवासियों ने बापू से प्रेरणा लेकर जंगल सत्याग्रह शुरू किया।
छत्तीसगढ़ के हजारों नौजवान नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। हजारों लोगों ने जेल यात्राएं की। अछूतोद्धार की लड़ाई छत्तीसगढ़ से शुरू हुई। राष्ट्रपिता ने आजादी के आंदोलन के साथ-साथ समाज की कुरीतियों और विसंगतियों को दूर करने पर भी जोर दिया था। आयोजन की अध्यक्षता करते हुए संस्कृति एवं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आजादी के आंदोलन के प्रणेता ही नहीं हमारे प्रेरणा स्रोत भी हैं। उन्होंने पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोया।
आजादी के आंदोलन में सभी को साथ लेकर आगे बढ़े। उन्होंने किसानों की दिक्कतों को समझा और छूआछूत की विसंगतियों को दूर करने का प्रयास किया। कार्यक्रम में कुष्ठ सेवा कर्मियों को कुष्ठ उन्मूलन सेवा सम्मान और सफाई कर्मियों को स्वच्छता योद्धा सम्मान से सम्मानित किया गया।
कंडेल नहर सत्याग्रह की भी याद
मुख्यमंत्री ने इस दौरान कंडेल के नहर सत्याग्रह को भी याद किया। उन्होंने इसे महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन का सबसे अच्छा उदाहरण बताया। स्थानीय इतिहासकारों के मुताबिक कंडेल के किसानों पर ब्रिटिश हुकूमत ने कर बढ़ा दिया था, इसके विरोध में आंदोलन शुरू हुआ। किसानों ने बढ़ा कर पटाने से किसानों ने इंकार कर दिया।
ब्रिटिश हुकूमत द्वारा किसानों के मवेशियों की नीलामी कर कर वसूलने का प्रयास किया। लेकिन कंडेल नहर सत्याग्रह के नेताओं के आव्हान पर लोगों ने नीलामी में मवेशियों को खरीदने से इंकार कर दिया था। बाद में महात्मा गांधी 20 दिसम्बर 1920 को छत्तीसगढ़ आए थे। महात्मा गांधी के आने की खबर मिलने पर ब्रिटिश हुकूमत ने किसानों पर लगाया गया जुर्माना हटा दिया था। यह सविनय अवज्ञा आंदोलन की पहली बड़ी जीत थी।
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