इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के इन्क्यूबेशन सेंटर आरकेवीवाय रफ्तार एग्रीबिजनेस इन्क्यूबेटर (आईजीकेवी आरएबीआई) की ओर से स्टार्टअप को ट्रेनिंग दी जा रही हैं। सेंटर में अभिनव और उद्भव योजना के तहत दूसरे बैच के लिए चुने गए स्टार्टअप्स को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही हैं। इस बार अभिनव योजना के लिए 40 और उद्भव योजना के तहत 18 स्टार्टअप्स को सेलेक्ट किया गया है। सेंटर के सीईओ डॉ. हुलास पाठक ने बताया कि बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए आंत्रप्रेन्योर्स को 2 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें स्टार्टअप को बिजनेस मॉडल डेवलप करने के साथ ही टेक्निकल और बिजनेस मेंटरिंग की भी जाएगी। इसके बाद बेस्ट स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए 5 लाख से 25 लाख तक का ग्रांट दिया जाएगा। पढ़िए ट्रेनिंग में शामिल दो स्टार्टअप्स की स्टोरी...
14 प्रकार की जड़ी-बूटियों से बनाया इम्युनिटी बूस्टर
गौरव कुमार, अमृत नाहर और आनंद नाहर ने मिलकर कंपनी जोरको शुरू की हैं। इसमें वे किसानों से फसल लेकर आर्गनिक प्रोडक्ट हर्बल टी, कैंडी, कॉफी, ड्रिंक्स, लड्डू, मसाले आदि बना रहे हैं। ये सभी प्रॉडक्ट हेल्थ सप्लीमेंट की तरह ही हैं। उन्होंने बताया कि शरीर में वात, पित्त, कफ के इम्बैलेंस होने से कई प्रकार की बीमारियां होती है। इसी को नियंत्रित करने के लिए हमने 6 प्रकार की हर्बल टी बनाई है। अब वेबसाइट भी बना रहे हैं, जहां लोगों के सवालों के आधार पर हर्बल टी तैयार की जाएगी। इसके अलावा वात, पित्त, कफ के अनुसार कई तरह के तेल, शहद और दाल का प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। साथ ही लोगों की समस्याओं पर रिसर्च कर रहे हैं। तीनों ने अलग-अलग कॉलेज से इंजीनियरिंग की है लेकिन कुछ अलग करने की चाह में नौकरी नहीं की। उनकी मुलाकात शिमगा, सोमनाथ के पास मानवतीर्थ में हुई जहां वे जीवन विद्या सीखने गए थे। उन्होंने आर्गनिक खेती, आयुर्वेद के बारे में जाना समझा। पहले दो महीने रिसर्च करने के बाद कंपनी बनाई और मई 2020 में प्रॉडक्ट की सप्लाई शुरू की। कोरोना के लिए उन्होंने 14 जड़ी बूटियों के उपयोग से जाेरको इम्युनिटी बूस्टर बनाया है। इसमें अश्वगंधा, तुलसी, सोड, इलायची, बड़ी इलायजी, गिलोय, पिपली, लौंग, दाल चीनी, मुलेठी, जावित्री, काली मिर्ची, जायफल, कस्तूरी हल्दी को मिक्स किया गया हैं। इसका स्वाद कड़वा नहीं लगता और भरपूर ताजगी देता है। टेस्ट के लिए 50 हजार लोगों को इसके सैंपल दिए गए। अभी तक 5 राज्यों में 1 लाख से ज्यादा लोगों तक प्रॉडक्ट पहुंचा चुके हैं। चार महीने में 10 लाख से ज्यादा का कमाई हुई है। इस आइडिया को स्टार्टअप इंडिया से रिकॉग्नाईजेशन मिला है। कंपनी में गौरव कुमार बस्तर से कनेक्टिविटी और क्वालिटी, अमृत नाहर डेवलपमेंट जबकि आनंद नाहर सप्लाई और मार्केटिंग देखते हैं।
नैनो टेक्नोलॉजी बेस्ड पॉलीमर एक साल तक अनाज को रखता है सुरक्षित
अनाज भंडार में काफी मात्रा में अनाज कई कारणों से खराब हो जाते हैं। इसी की समस्या से निजात देने के लिए प्रीति पांडेय ने नैनो टेक्नोलॉजी बेस्ड पॉलीमर डेवलप किया हैं। इसका स्प्रे करके फंगस, बैक्टेरिया, वायरस से अनाज काे बचाया जा सकता है। कैमिकल अनाज को एक साल तक सेफ रखता है। यह हानिकारक भी नहीं है। प्रीति ने 2015-16 में प्लास्टिक इंजीनियरिंग में एमटेक किया। फिर 3 साल नैनो टेक्नोलॉजी पर काम करके इसे डेवलप किया। उन्होंने नवंबर 2018 में कंपनी बायोएनजीएस शुरू की। इस कैमिकल का स्प्रे करते ही अनाज के ऊपर नैनो पार्टिकल की कोटिंग हो जाती हैं। ये पार्टिकल कांटे की तरह होते है।किसी वायरस, फंगस के संपर्क में आते ही पार्टिकल उसे डेमेज कर देते हैं। 200 एमएल केमिकल को 1 क्विंटल पर स्प्रे किया जा सकता हैं। अभी कंपनी का सालाना टर्नओवर 15 लाख का है। केमिकल आलू प्याज को सड़ने से रोक सकता है। अभी आलू -प्याज के जर्मीनेशन पर भी काम हो रहा है।
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