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अब सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को दवाओं के नाम कैपिटल लेटर में लिखना अनिवार्य होगा। स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में सभी अस्पताल अधीक्षक, सीएमएचओ, सिविल सर्जन व आईएमए को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि दवाओं के नाम स्पष्ट व बड़े अक्षरों में लिखें, जिससे मेडिकल स्टोर में कार्यरत फार्मासिस्ट व दूसरे कर्मचारियों को समझ आए।
मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने पहले भी दवाओं के नाम कैपिटल लेटर में लिखने का फरमान जारी किया था। हालांकि यह फरमान पूरी तरह लागू नहीं हुआ है। प्रदेश के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल में अभी भी ज्यादातर डॉक्टर दवाओं के नाम अंग्रेजी के स्माल लेटर में लिख रहे हैं। इस कारण कई बार मेडिकल स्टोर में दवाओं के नाम पर कंफ्यूजन होता है। स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में पत्र लिखकर सभी डॉक्टरों को कैपिटल लेटर में दवा का नाम लिखने को कहा है। यही नहीं डॉक्टर ऐसा कर रहे हैं या नहीं, इसकी मानीटरिंग भी की जाएगी। सभी विभागों की ओपीडी पर्ची की जांच की जाएगी, ताकि कैपिटल लेटर में लिखने को बढ़ावा दिया जा सके।
केवल 40 फीसदी जेनेरिक दवा लिखते हैं डॉक्टर : चार साल पहले अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों को मरीजों के लिए केवल जेनेरिक दवा लिखने का फरमान जारी किया गया था। छग हेल्थ रिसोर्स सेंटर इसकी मानीटरिंग भी करता रहा। मानीटरिंग में यह बात सामने आई कि डॉक्टर मरीजों की परची में केवल 40 फीसदी जेनेरिक दवा लिख रहे हैं। बाकी ब्रांडेड दवाओं के नाम थे। हालांकि यह बात आई गई हो गई। अभी भी ज्यादातर डॉक्टर जेनेरिक कम, ब्रांडेड ज्यादा लिख रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन ने सभी विभाग के डॉक्टरों को जेनेरिक दवा लिखने के निर्देश दिए हैं।
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