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स्कूल के ताले तो खुल गए हैं लेकिन कोरोना का डर अभी खत्म नहीं हुआ है। यही वजह है कि स्कूल खुलने के सप्ताहभर बाद भी उपस्थिति सामान्य तो दूर पचास फीसदी भी नहीं पहुंच पा रही है। 20 से 30 प्रतिशत छात्र ही स्कूल जा रहे हैं।
कोरोना के लगातार बढ़ रहे केस को देखते हुए स्कूल बंद करने की घोषणा न हो जाए, इसलिए स्कूल प्रबंधन अब परीक्षा के मूड में आ गए हैं। मार्च के पहले सप्ताह से सीबीएसई व अन्य बोर्ड के स्कूलों में नवमीं-ग्यारहवीं की परीक्षा शुरू हो जाएंगी। 20 मार्च तक अधिकांश स्कूल प्रबंधन ने परीक्षाएं खत्म करने के संकेत दिए हैं। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। ज्यादातर निजी स्कूल प्रबंधन का कहना है कि नवमीं-ग्यारहवीं की परीक्षाएं ऑफलाइन ली जाएंगी। यानी छात्रों को परीक्षा देने स्कूल आना होगा। कोरोना के बढ़ते खतरे को देखकर शासन से स्कूल बंद करने का फरमान जारी होने पर परीक्षाएं ऑफलाइन नहीं होगी, इसलिए अब पढ़ाने की तुलना में नवमीं-ग्यारहवीं की परीक्षा पर फोकस किया जा रहा है।
शिक्षा विभाग के अफसरों के अनुसार मार्च के पहले सप्ताह से अधिकांश सीबीएसई के स्कूलों में नवमीं-ग्यारहवीं के परीक्षा शुरू हो जाएंगी। परीक्षा का शेड्यूल ऐसा बनाया जाएगा कि जल्द से जल्द सारे पर्चे हो जाएं। कोरोना महामारी की वजह से बंद स्कूल करीब ग्यारह महीने बाद 15 फरवरी को खोले गए हैं। फिलहाल नवमीं से बारहवीं की पढ़ाई करायी जा रही है। स्कूल खुलने के बाद पहले दिन से स्कूलों में जैसी स्थिति रही, कुछ इसी तरह की स्थिति सप्ताहभर बाद भी है।
स्कूलों में उपस्थिति 20 से 30 प्रतिशत बच्चे ही पहुंच रहे है। ज्यादातर पैरेंट्स अभी बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते। स्कूल प्रबंधन इस मामले में पैरेंट्स पर दबाव नहीं बना सकते इसलिए अब भी बच्चों की उपस्थिति कम है। निजी स्कूलों का कहना है कि हमारा फोकस ऑफलाइन परीक्षाओं पर है। नवमीं-ग्यारहवीं का कोर्स खत्म हो चुका है। ऑनलाइन पढ़ाई अब भी चल रही है। जो छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं वे ऑनलाइन जुड़कर पढ़ाई कर रहे हैं।
सीजी बोर्ड के स्कूलों में अप्रैल में परीक्षा
सीजी बोर्ड के स्कूलों में नवमीं-ग्यारहवीं की परीक्षा अप्रैल में होने की संभावना है। यह परीक्षाएं स्थानीय स्तर पर आयोजित की जाएगी। सीजी बोर्ड के सरकारी व निजी स्कूलों में भी उपस्थिति कम है। इन स्कूलों में अभी दसवीं-बारहवीं के लिए प्रैक्टिकल व प्रोजेक्ट वर्क की परीक्षा चल रही है।
इन छात्रों की संख्या ही स्कूलों में ज्यादा है। 10 मार्च तक प्रैक्टिकल व प्रोजेक्ट वर्क की परीक्षा होगी। उपस्थिति को लेकर शिक्षकों से चर्चा की गई तो पता चला कि कई बच्चे तो स्कूल आना चाहते हैं, लेकिन कई बच्चों में अभी भी कोरोना का डर है। उनके माता-पिता स्कूल भेजना नहीं चाहते।
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