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राज्य महिला आयोग की सुनवाई में बिखरते रिश्तों के कई जटिल मामले आए। एक शिकायत आई कि एक सरकारी शिक्षिका ने बिना तलाक लिए दो विवाह कर लिए हैं। आयोग ने महिला का आज कार्यालय बुलाया था। शिक्षिका ने खुद को गर्भवती बताकर उपस्थित होने में असमर्थता जता दी। आयोग ने अगली तारीख पर उसे मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ उपस्थित होने को कहा है।
एक दूसरी महिला ने आयोग से गुहार लगाई कि उसको पति के घर पहुंचवा दिया जाए। सामने आया कि महिला और उसके पति के बीच तलाक, संतान के भरण-पोषण और दूसरे मामलों को लेकर चार मुकदमें अदालत में चल रहे हैं। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने महिला को समझाया, यदि पहले से न्यायालय में मामला विचाराधीन है तो महिला आयोग के हांथ बंधे होते हैं। आयोग उसमें कार्रवाई नहीं कर सकता।
एक मामले में शिकायतकर्ता का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया था। दूसरे पक्षकार ने इसमें अपनी गलती स्वीकार किया है। अब संबंधित थाना प्रभारी को आईटी एक्ट में मामला दर्ज कर कार्रवाई करने को कहा गया है।
अधिकतर मामले में दूसरा पक्षकार नहीं आया, आयोग सख्त
बताया गया, आज 21मामले सुनवाई के लिए आए। इसमें से अधिकतर में दूसरा पक्षकार उपस्थित नहीं हुआ। महिला आयोग ने सुनवाई की तिथि पर दूसरे पक्षकार की अनुपस्थिति पर कड़ा रूख अपनाया है।
महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने ऐसे पक्षकारों से संबंधित थानों में सूचना देकर उपस्थिति सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने संबंधित पुलिस अधीक्षकों को भी पत्र भेजने को कहा है। एक मामले में उन्होंने शहडोल निवासी पक्षकार की उपस्थिति के लिए मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग को पत्र लिखने को कहा है।
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