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राजिम मेला 27 फरवरी से लगना है। हर साल रायपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल होते हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार नहीं चाहती कि मेले में भीड़ लगे, इसलिए इस बार न तो सरकारी स्टेज सजेंगे और न ही कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। यही नहीं, पुण्य स्नान भी नियमों के साये में होगा। दरअसल, दो माह की ऊहापोह के बाद राजिम में मेला लगना तय हो गया है। शुक्रवार को इसे लेकर राजिम में केंद्रीय समिति की बैठक रखी गई थी जिसमें संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू, वन मंत्री मोहम्मद अकबर समेत स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। मंत्री साहू ने कहा, इस बार कोई सरकारी आयोजन नहीं होगा। न ही बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
सालों से चली आ रही परंपरा बनी रहे इसलिए मेला स्थगित नहीं किया जा सकता इसलिए श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सहूलियत के लिहाज से सारी तैयारियां पहले की तरह ही की जाएंगी। उन्होंने अफसरों को निर्देश दिया है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत मेला संपन्न हो। भक्तों की सुरक्षा और भीड़ को नियंत्रित करने पुलिस आवश्यक व्यवस्थाएं करेगी। लोगों की सुविधा के लिए पहले की ही तरह सड़क, शौचालय, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सफाई आदि की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए नगर पंचायत राजिम, नयापारा समेत संबंधित विभागों को जिम्मेदारी दी गई है। इस दौरान विधायक धनेंद्र साहू, अमितेश शुक्ल, पूर्व विधायक लेखराम साहू, रायपुर कमिश्नर ए टोप्पो मौजूद रहे।
राजिम मेले से जुड़ी खास बातें...
अहम सवाल - कुंड में स्नान करेंगे तो कैसे रहेगी सोशल डिस्टेंसिंग
कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर में भीड़ इकट्ठा न हो, यह निर्देश जारी किया गया है। दूसरी ओर पुण्य स्नान के लिए एक कुंड बनाया जा रहा है जिसमें भक्तों को सामूहिक स्नान की अनुमति होगी। इन 2 निर्देशों ने भी लोगों में संशय पैदा कर दिया है। दरअसल, भक्त इस बार नदी के संगम में स्नान नहीं कर सकेंगे। इसके लिए तीनों नदियों का जल एक कुंड में इकट्ठा किया गया है। लाेगों का कहना है कि मंदिर जाने से कोरोना हो सकता है तो क्या एक कुंड में सामूहिक स्नान करने से नहीं होगा? वैसे भी इस बार हरिद्वार महाकुंभ के चलते संत महात्मा राजिम मेले में नहीं आएंगे।
इधर, बैठक में ही उड़ी नियमों की धज्जियां
केंद्रीय समिति की बैठक दोपहर 2 से 4 बजे तक चली। इस दौरान एक ओर मेले में भीड़ न लगने पर चर्चा होती रही तो दूसरी ओर बैठक में ही सोशल डिस्टेंसिंग नदारद रही। हाॅल में इतने ज्यादा लोग थे कि कोविड 19 की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ गईं। बैठक में शामिल लोगों ने मास्क भी नहीं पहना था। पत्रकार हॉल के बाहर खड़े होकर रिपोर्टिंग करते रहे।
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