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बसंत पंचमी के अवसर पर शील साहित्य परिषद जांजगीर में साहित्यकार ईश्वरी यादव एवं सजलकार विजय राठौर की तीन कृतियों का विमोचन किया गया साथ ही काव्यगोष्ठी भी हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. माणिक विश्वकर्मा “नवरंग” कोरबा एवं विशिष्ट अतिथि गीता शर्मा रायपुर रहीं। अध्यक्षता विजय दुबे एवं बलदेव शर्मा ने की। छंदकार ईश्वरी यादव की काँटों में फूलों की आहट, छंदों की लहरों में तैरती सजल, हिन्दी छंद मंजूषा एवं विजय राठौर की कलम की नोंक पर, धूप बहुत है छाया कम, दोहे समकालीन, कृतियों का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।मुख्य अतिथि नवरंग ने कहा शील साहित्य परिषद छत्तीसगढ़ की सबसे प्रमुख साहित्यिक संस्था है, जिसका विस्तार देश के कोने कोने में दिखाई दे रहा है। छंदकार ईश्वरी यादव एवं सजलकार विजय राठौर जांजगीर के साहित्यिक स्तंभ हैं। दोनों ही कवियों ने सैकड़ों नवोदित कवियों का मार्गदर्शन कर लेखन के लिए प्रेरित किया है। गीता शर्मा ने कहा कि व्याकरण के लिए ईश्वरी यादव व सजल के लिए विजय राठौर का नाम पूरे देश में सम्मान के साथ लिया जा रहा है। विजय दुबे ने बसंत पर होने वाले परिवर्तन व कालिदास की रचनाओं में बसंत पर अपनी बात रखी।
पॉजिटिव- आर्थिक दृष्टि से आज का दिन आपके लिए कोई उपलब्धि ला रहा है, उन्हें सफल बनाने के लिए आपको दृढ़ निश्चयी होकर काम करना है। कुछ ज्ञानवर्धक तथा रोचक साहित्य के पठन-पाठन में भी समय व्यतीत होगा। ने...
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