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जशपुर जिले का कुंभी नाला अब फिर से दर्जनभर गांवों के फिर से सीमावर्ती दर्जन भर गांवों में सिंचाई के लिए वरदान साबित होगा। शासन की नरवा, गरूवा घुरवा, बाड़ी योजना में कुंभी नाला की कंचनकाया को पुनर्जीवित करने की अभिनव पहल शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत ग्रामीणों एवं किसानों ने श्रमदान करके की है। योजना के चार घटकों में से सबसे अधिक महत्वपूर्ण घटक, नरवा न सिर्फ इस योजना का बल्कि ग्रामीण जनजीवन का आधार है। नरवा के बहते जल का संरक्षण दरअसल जीवन और समृद्धि का संरक्षण है। ग्रामीण अब इस बात को भली-भांति समझने लगे हैं। बीते 15-20 सालों में बोरवेल और नलकूप को सिंचाई का सहज साधन मान लेने की भूल ने ग्रामीणों और किसानों को नरवा की महत्ता से विमुख कर दिया था। इसका दुष्परिणाम यह रहा कि दिनों दिन भू-जल स्तर पाताल की ओर खिसकने लगा और बोरवेल, नलकूप फेल होने लगे। सरकार की इस योजना ने भारतीय जनजीवन की समृद्धि का आधार रहे नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी को न सिर्फ पुनः याद दिलाया है, बल्कि इसकी महत्ता एवं स्वीकार्यता को लेकर लोगों में संजीदगी ला दी है। कुंभी नाले का उद्गम जशपुर ब्लॉक के भेलडीह और नवाटोली के मध्य स्थित पहाड़ी इलाके की तलहटी है। यहां से यह बारहमासी नाला लगभग 8 किलोमीटर का सफर तय करता हुआ। सालेकेरा के पास बहरी नाला में मिल जाता है और इसके बाद आरा होते हुए झारखंड राज्य की ओर चला जाता है। कुंभी नाला जशपुर ब्लॉक के दर्जन भर गांव से गुजरता है। ग्रामीण बताते हैं कि 15-20 वर्ष पहले तक यह स्थिति थी कि वर्ष पहले नाले में मई-जून महीने में भी पानी का अच्छा खासा बहाव बना रहता था। नाले के किनारे स्थित खेतों की सिंचाई इसी नाले के पानी से होती थी। गर्मी के दिनों में नाले के किनारे किसान सैकड़ों एकड़ खेत में सब्जी-भाजी की खेती के अलावा धान की खेती भी गर्मी के मौसम में किया करते थे। संरक्षण के अभाव में यह नाला धीरे-धीरे आने अस्तित्व को खोता चला गया। नाले में पानी के बहाव की कमी के चलते खेत परती रहने लगे। जगह-जगह कटाव की वजह से नाले के पानी के बहाव की दिशा भी बदल गई।
12 स्थानों पर बोल्डर चेक का हो चुका है निर्माण
जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रेम सिंह मरकाम ने बताया कि नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना के तहत इस नाले को पुनः उपयोगी बनाने का खाका तैयार कर काम शुरू कर दिया है। अभी तक 12 स्थानों पर बोल्डर चेक एवं गली प्लग का निर्माण किया जा चुका है। शेष 12 स्थानों पर बोल्डर चेक का निर्माण जारी है। कुंभी नाले के उपचार के साथ ही इसके किनारे स्थित गांवों के कुओं, नलकूप और हैण्डपंप की जल स्तर की जानकारी भी तैयारी की जा रही है ताकि आगामी ग्रीष्म ऋतु में नाले के उपचार से भू-जल स्तर में हुई बढ़ोत्तरी का पता चल सके। सीईओ पीएस मरकाम ने बताया कि कुंभी नाला के किनारे राजस्व की सैकड़ों एकड़ भूमि खाली पड़ी है। यहां ब्लॉक प्लांटेशन कराए जाने की भी तैयारी कर ली गई है। पोरतेंगा में निर्मित मॉडल गौठान में पशुओं के पानी एवं चारागाह की सिंचाई के लिए जलापूर्ति कुंभी नाला से होगी।
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