पत्थलगांव में शुक्रवार दोपहर दहला देने वाले सड़क हादसे में बाल-बाल बचे युवक ने दैनिक भास्कर को घटना की आंखों देखी बताई। कैसे खुशी और जश्न से भरा माहौल कुछ ही सेकंड में मातम और चीख में बदल गया। पढ़िए... आक्रोश से भर देने वाली घटना..
‘मैं जुलूस में शामिल था। जशपुर रोड दुर्गोत्सव समिति ने पहले ही दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन का समय रूट सभी कुछ तय कर रखा था। हम दोपहर को समय पर पंडाल से देवी मां की प्रतिमा लेकर निकले, हमारे साथ कुछ और प्रतिमाएं भी थीं और उन समितियों के लोग भी थे। हम सभी पूरे उत्साह में विसर्जन के लिए निकले हुए थे। हमारी समिति के साथियों ने एक जैसी पोशाक पहनी थी। मेरे कुछ दोस्त सामने पटाखे फोड़ रहे थे, मैं सड़क के दाईं ओर था।’
‘कुछ नाच-गाना करने वाली टोलियों को भी हमने बुलवाई थी, जो पारंपरिक नृत्य कर रहे थे। सभी कुछ बहुत ही खुशनुमा माहौल में चल रहा था। दोपहर 1 बजे हम पत्थलगांव थाने से करीब 100 मीटर दूर कन्या स्कूल के पास पहुंचे थे। हमारे जुलूस के पीछे एक ट्रैक्टर भी था। भीड़ ज्यादा थी। इसलिए ट्रैक्टर धीरे-धीरे पीछे ही चल रहा था। मैं कुछ छोटे वाहनों को भीड़ के साइड से निकालने का प्रयास कर रहा था।’
...और फिर भगदड़, चीखें और मौत
“इसी समय मैंने भीड़ के पीछे तेज हार्न की आवाज सुनी, हार्न लगातार बज रहा था। मैंने उस तरफ देखा तो तेजी से एक कार ने ट्रैक्टर को ओवरटेक किया। कार चलाने वाले को अंदाजा नहीं था कि ट्रैक्टर के सामने पूरे रास्ते में भीड़ है। ट्रैक्टर के साइड से वह बहुत ज्यादा तेजी से निकला। जब तक वह स्पीड कम करने की कोशिश करता गाड़ी भीड़ में घुस चुकी थी। जैसे ही लोग उससे टकराए उसने ब्रेक मारने की जगह एक्सीलेटर दबा दिया। इससे गाड़ी पूरी रफ्तार में सामने के लोगों को रौंदती हुई सीधे निकल गई। कुछ समझ में आता इससे पहले ही सड़कों पर लोग बिखरे हुए थे।”
“डर के मारे सब स्तब्ध हो गए। कुछ सेकंड बाद सब ने जो सड़कों पर गिरे हुए थे, उनको उठाना शुरू किया। कुछ होश में आए कुछ बेहोश ही थे। सड़क के बीचों बीच नाचने वालों की टोली थी और उसके सामने पटाखे फोड़ रहे मेरे दोस्त, इन्हीं लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। हम लोग कार के पीछे दौड़े, लेकिन कार की रफ्तार बहुत तेज थी। इस समय तक चीख-पुकार सुनकर आसपास के सारे लोग आ गए। पुलिस को सूचना दी गई, जिसे जो साधन मिला उससे अस्पताल पहुंचाया गया। कुछ ही पल में जश्न , मौत के मातम में बदल गया। अभी भी उस घटना के बारे में सोच कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं"
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