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जशपुर जिले से अब भी पलायन जारी है। लोग चाय बागान में काम करने के लिए असम, अंडमान, बंगाल और भूटान पलायन कर रहे हैं। कई बार पलायन करने वाले परिवारों के बिछड़ने के मार्मिक मामले भी सामने आते है। ऐसी ही घटना छिछली निवासी वृद्धा ढ़ोलो बाई के साथ घटी है। 70 वर्षीया वृद्धा ढ़ोलो बाई पांच साल पहले पति भगतो राम के साथ रोजगार की तलाश में भूटान गई थी। वहां चाय बागान में मजदूरी के दौरान भगतो राम की सर्पदंश से मौत हो गई। पति के गुजरने के बाद बेसहारा हुई ढ़ोलोबाई भूटान में ही कई महीने वही फंसी रह गई। काफी मशक्कत के बाद ढोलोबाई ने परिजन तक पति की मौत की सूचना दी। सूचना पर परिजन भूटान जाकर ढ़ोलो बाई को वापस छिछली ले आए। वापस गांव पहुंचकर भी ढोलोबाई की मुसीबत कम नहीं हुई। गांव और परिवार में कोई संतान नहीं होने से वृद्धा निराश्रित हो गई। ग्रामीणों के सहयोग से किसी तरह जिंदगी बसर करती रही। इस बेसहारा को पीडीएस योजना से भी सहारा नहीं मिल पाया। ग्राम पंचायत ने वृद्धा ढ़ोलो बाई की सहायता करने में नाकाम रहा है। सहायता की उम्मीद लिए जशपुर कलेक्टर से गुहार लगाने आई ढ़ोलोबाई ने बताया कि उसे उम्मीद है कलेक्टर उसकी सुनेंगे और उसे मुसीबतों में कुछ राहत मिलेगी। गरीबी रेखा की सूची में नाम होने के बावजूद पंचायत ने उसके नाम से एपीएल राशन कार्ड जारी किया है। इससे चावल के लिए हर महीने 220 रुपए चुकाना पड़ रहा है। वृद्ध और निराश्रित होने के बाद भी पंचायत की ओर से मिलने वाला पेंशन भी शुरू नहीं हो पाया है। वृद्धा के साथ आए ग्रामीणों ने बताया कि बीपीएल राशन कार्ड और पेंशन के लिए ग्राम सभा की बैठक में भी मांग कर चुके हैं,लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो पाई है।
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