बरसात को अब कुछ दिन शेष रह गए हैं। नगर निगम शहर के बड़े नाले नालियों की सफाई करा रहा है लेकिन चार-पांच इलाके जहां घंटेभर की बारिश में जलभराव हो जाता है। जलभराव से ना केवल घरों में पानी घुसता है बल्कि आमलोगों को गंदे पानी पर चलना पड़ता है। हर साल होने वाली इस समस्या का स्थायी हल नहीं ढूंढा जा रहा है। कहीं अफसर ध्यान नहीं देते तो कहीं योजना पर जनप्रतिनिधियों के विरोध के कारण काम नहीं हो पाता है।
शहर में मोदी नगर, चिरंजीव दास नगर, लोचन नगर, गोपी टॉकीज रोड, गुजराती पारा, स्टेशन कॉलोनी, गर्ल्स कॉलेज, बावली कुआं समेत लगभग 10 इलाके हैं जहां बरसात का पानी भर जाता है। यह समस्या पानी के निकास की व्यवस्था नहीं होने की वजह से है।
मोदी नगर में नाला बना दिया गया है। वहीं कुछ इलाकों में हर साल बारिश के पहले सफाई से राहत मिल जाती है, हालांकि तेज बारिश से लोगों के घरों में पानी घुस जाता है। तीन प्रमुख इलाके हैं जहां समस्या जस की तस बनी हुई है। निगम से जुड़े एक आर्किटेक्ट ने बताया कि शहर के भीतर नाले और नालियां पुराने जमाने की हैं। 30 साल में शहर की जनसंख्या लगभग दो गुनी हो हो गई है। ड्रेनेज सिस्टम में व्यापक सुधार की गुंजाइश है लेकिन इस पर अफसरों का ध्यान नहीं है।
पैठू डबरी, अंडर ब्रिज
बूढ़ी माई मंदिर के निकलने वाला नाला गुजराती कॉलोनी, पथिक होटल के नजदीक, रेलवे कॉलोनी, साईं श्रद्धा, मालधक्का से होता हुआ रेलवे अंडरब्रिज के पास निकलता है। यह नाला ही पैठू डबरी कहा जाता है। सीएसआर से पैसा मिला था, 45 लाख का टेंडर किया गया था लेकिन तोड़फोड़ नहीं होने के कारण काम नहीं हो सका है।
तीन घंटे बारिश हो जाए तो रेलवे कॉलोनी के घरों में गंदा पानी बिस्तर के लेवल तक भर जाता है। रेलवे स्टेशन के बाहर तालाब बन जाता है, यात्रियों को मुश्किल होती है। नाले-नालियों पर अतिक्रमण हटाने की बुराई जनप्रतिनिधि और अफसर नहीं लेना चाहते। मालधक्का अंडरब्रिज में जरा सी बारिश से नाले का गंदा भर जाता है। लोग मजबूरी में उसपर चलकर जाते हैं।
गर्ल्स कॉलेज की समस्या का अस्थायी हल
पुरातन नकटी तालाब में बन के एमटी गर्ल्स कॉलेज में हर बरसात में पानी भर जाता है। अगस्त और सितंबर के मध्य तक यहां छात्राओं को बड़ी परेशानी होती है। कॉलेज में काम बंद हो जाता है, लाइब्रेरी में किताबें, कंप्यूटर खराब होते हैं ।
निगम के इंजीनियर बताते हैं कि ढाल होने के कारण जलभराव रोका नहीं जा सकता है। इसके लिए कॉलेज भवन तोड़कर लेवल बढ़ाकर नया भवन बनाना पड़ेगा। कॉलेज प्रबंधन ने नुकसान से बचने हल ढूंढ लिया है। कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक, लाइब्रेरी और दफ्तर के फर्श का स्तर डेढ़ फीट बढ़ा लिया गया है। कॉलेज परिसर में पानी का भराव होगा भी तो कॉलेज के जरूरी काम नहीं रुकेंगे।
सभी लोग साथ आएं तो निकलेगा हल
नाले-नालों की सफाई शुरू करा दी गई है। पैठू डबरी का टेंडर हो चुका है लेकिन तकनीकी दिक्कत है, सभी दल के लोगों को मिलकर इसका हल निकालना होगा। रेलवे अंडरब्रिज दरअसल रेलवे के अधीन है। यह आम रास्ता नहीं है। हम चाहते हैं कि रेलवे और नगर निगम मिलकर इसका हल निकले। रेलवे से बात कर काम करेंगे।
जानकी काटजू, महापौर
30 मई तक पूरी होगी शहर के नालों की सफाई
26 बड़े-छोटे नालों की सफाई हो चुकी है। हम सभी पार्षदों से बात कर रहे हैं। जहां बारिश के पानी के भराव जैसी स्थिति बनती है उन नाले-नालियों की सफाई चल रही है। 30 मई तक हम शहर के सभी नालों की सफाई कर लेंगे।
संजय देवांगन, एमआईसी सदस्य
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