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कुत्तों का आतंक:मोहल्लों में आवारा कुत्तों की भीड़, जनवरी से मार्च तक 880 कुत्तों की नसबंदी का दावा, इधर निगम नहीं कर रहा इंतजाम

रायगढ़8 महीने पहले
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चक्रधरनगर इलाके में कुत्तों का जमघट। - Dainik Bhaskar
चक्रधरनगर इलाके में कुत्तों का जमघट।

बारिश के बाद अब ठंड के दिनों में भी शहर के हर गली-मोहल्ले और चौराहों पर आवारा कुत्तों का आतंक है। ये कुत्ते बाइक सवार, वॉक करने वालों पर हमला कर रहे हैं। अस्पताल और क्लीनिक में डॉग बाइट के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन नगर निगम के पास ऐसी कोई योजना नहीं है, जिससे कुत्तों से राहत मिल सके।

शहर में किसी भी सड़क से गुजरिए, कुत्तों का जमावड़ा दिखेगा। सड़क पर जमे आवारा मवेशियों को हटाने के लिए नगर निगम ने इस साल रोका-छेका नहीं किया। और ना ही कुत्तों से आमलोगों को राहत दिलाने कोई कार्ययोजना है। निगम के अफसर अब प्रस्ताव भेजने की बात कह रहे हैं।

इस महीने 19 अक्टूबर तक शहर के भीतर कुत्तों के हमलों में घायल या डॉग बाइट के शिकार 94 लोग उपचार के लिए जिला चिकित्सालय पहुंचे। इससे अधिक तादाद में मरीज निजी चिकित्सालय या क्लीनिक पहुंचे हैं। अगस्त से अब तक की संख्या देखें तो सिर्फ जिला चिकित्सालय में ही 384 लोग डॉग बाइक का शिकार हुए हैं। राज्य के साथ ही देशभर में आवारा कुत्तों के जानलेवा हमलों की खबर सुनी जाती है।

डॉक्टरों के मुताबिक अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों में 10 फीसदी लोग ही पालतू कुत्तों के हमने में घायल होते हैं, बाकी मरीज चौराहे, मोहल्ले या कॉलोनी से आते हैं। सबसे ज्यादा खतरा स्कूली बच्चों को होता है। मोहल्ले में खेलने वाले बच्चे, ट्यूशन या स्कूल से आते-जाते बच्चों पर कुत्तों के हमलों का खतरा ज्यादा होता है। शहर के इंदिरा नगर, केवड़ाबाड़ी तिराहा, कोतरा रोड, पुलिस लाइन, चक्रधरनगर, कबीरचौक इलाके से रात को गुजरा खतरे से खाली नहीं होता। कॉलोनियों के भीतर भी आवारा कुत्तों का जमघट लगा होता है।

मामूली न समझें, उपचार व इंजेक्शन लगवाएं: डॉ. चेतवानी
जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉ. प्रकाश चेतवानी कहते हैं कि कुत्तों के काटने या घायल करने को हल्के से न लें। तुरंत उपचार कराएं, रजिस्टर्ड डॉक्टर से परामर्श करें। सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध है। घरेलू उपचार के भरोसे न रहें। डॉग बाइट या हमले में लगी चोट के लिए 5 टीके लगवाने होते हैं। पहले दिन के साथ ही 3, 7 और 28वें दिन इंजेक्शन लगवाना होता है। रेबीज वैक्सीन के साथ टिटनस की सुई लेनी जरूरी है।

नगर निगम के पास नहीं है किसी प्रकार की कार्ययोजना
नगर निगम से मिली जानकारी के मुताबिक जनवरी से मार्च तक 880 कुत्तों की नसबंदी की गई है। मार्च के बाद कुत्तों के ब्रिडिंग सीजन के कारण नसबंदी रोकनी पड़ी। हालांकि शहर के चौक-चौराहों पर कुत्तों की भीड़ देखें तो नसबंदी का असर दिखता नहीं है। कुत्तों की धरपकड़ की योजना सालों पहले बनी थी। डॉग हाउस जैसा कोई इंतजाम नहीं है। नगर निगम आवारा कुत्तों की नसबंदी 2012-13 से कर रहा है, लेकिन कुत्तों की संख्या कम नहीं हो रही है।

एक्सपर्ट से बात कर प्रस्ताव तैयार करेंगे
इस समस्या से निपटने एक्सपर्ट से बात करेंगे। प्रस्ताव भेजेंगे, उसके बाद आवारा कुत्तों की नसबंदी कराई जाएगी।
संबित मिश्रा, आयुक्त, नगर निगम