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गोधन न्याय योजना के तहत गोबर बेचने के चार महीने बाद भी गो पालकों के खाते में राशि नहीं आने का मामला सामने आया है। तीन विभागों में आपस में सामंजस्य नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति बनी। कलेक्टर ने जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। गोबर बेचने के बाद लाभार्थी के खाते में रुपए ट्रांसफर होते हैं, दिसंबर तक इसकी मॉनिटरिंग काम जनपद पंचायत स्तर पर हो रही थी।
इसके बाद मॉनिटरिंग और किसानों के पैसों के हस्तांतरण काम कृषि विभाग को दिया गया। जपं की मॉनिटरिंग के दौरान 7 गौठानों में 150 से ज्यादा गोबर बेचने वाले किसानों के खातों में सात लाख 35 हजार रुपए डाले जाने थे। रायगढ़ के ननसिया, लेबड़ा, सहसपानी, बरलिया और लैलूंगा के सोनाजोरी और पाकरगांव के किसानों के खातों में रुपए नहीं डाले गए। बैंक प्रबंधन और जपं स्तर पर जो बजट मिला, खातों में एक सामान रूप से पैसे का हस्तांतरण नहीं किया गया। कुछ राशि गौठानों समितियों के खातों में भी डाले जाने की बात सामने आई है, अपेक्स बैंक अफसरों ने भी इसकी मॉनिटरिंग नहीं की। 7.35 लाख में 4.12 लाख रुपए एक- दो दिन में किसानों के खातों में डलवा दिए गए। अभी 3.23 लाख रुपए ट्रांसफर नहीं हो सके। सहकारिता विभाग के उप पंजीयक सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि जनपद और बैंक स्तर पर मॉनिटरिंग में कुछ कमी रह गई थी।
जिम्मेदार अफसरों ने नहीं की मॉनिटरिंग
अपेक्स बैंक के विशेष कर्तव्य अधिकारी और सहकारिता विभाग के उप पंजीयक ने मॉनिटरिंग नहीं की। कलेक्टर भीम सिंह ने भी इन दोनों अफसरों पर कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए शासन को पत्र भेजने की बात कही है। मामला मंगलवार को कलेक्टर समय सीमा बैठक में उठा था।
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