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मुंबई में फरवरी में ही कोरोना के एक्टिव मरीज 30 प्रतिशत बढ़े हैं। इसके साथ ही पुणे, नागपुर में कोरोना के मामले बढ़े हैं। हर रोज रायगढ़ में इन दोनों बड़े शहरों से सैकड़ों यात्री आ रहे हैं लेकिन रायगढ़ रेलवे स्टेशन पर अब स्क्रीनिंग को लेकर इंतजाम पहले जैसे नहीं हैं। ना तो यात्रियों से ट्रैवल हिस्ट्री ली जा रही है और ना ही किसी तरह की स्क्रीनिंग की जाती है। ट्रेन से उतरने के 3 मिनट बाद ही यात्री भीड़ में शामिल हो जाते हैं। एहतियात नहीं बरता तो कोरोना की जिले में फिर इंट्री हो सकती है। महाराष्ट्र के बड़े शहरों में कोविड (नया स्ट्रेन) के मामले मिलने के बाद एक हफ्ते के लिए स्कूल-कॉलेजों के साथ सियासी रैलियों, धार्मिक आयोजनों, सभाओं पर रोक लगा दी है। कुछ शहरों में साप्ताहिक लॉकडाउन किया गया है। आंधप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब और अन्य राज्यों में भी कोरोना के मामले बढ़े हैं। औद्योगिक जिले में बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों से लोग आते जाते हैं। ट्रेनों से बड़ी संख्या में लोग सीधे रायगढ़ पहुंचते हैं। जिले में कोरोना की स्थिति काबू में है लेकिन एहतियात अब भी जरूरी है। भास्कर की टीम ने सोमवार की शाम रेलवे ग्राउंड रिपोर्ट की। शाम 7:23 में ओखा हावड़ा पूजा स्पेशल 02905 आई। ट्रेन गुजरात से महाराष्ट्र के भुसावल और नागपुर से गुजरकर आती है। प्लेटफार्म पर ट्रेन के रुकते ही यात्री नीचे उतरकर सीधे मुख्य गेट की ओर जाने लगे। प्लेटफार्म पर टीटीई, स्टाफ और आरपीएफ के जवान मौजूद थे। प्लेटफार्म पर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। आए हुए यात्रियों की ट्रैवल हिस्ट्री या उनकी थर्मल स्कैनिंग नहीं की गई। ट्रेन शाम 7:23 बजे आई और 7:26 बजे में यात्री शहर की भीड़ में शामिल भी हो गए। रात 8.30 बजे मुंबई-हावड़ा मेल 02809 आई। इसमें भी 50 से ज्यादा यात्री शहर में उतरे। `
रोज आती हैं 4 ट्रेनें: आने वालों से नहीं लेते हैं जानकारी
महाराष्ट्र के जिन शहरों में कोरोना का असर बढ़ा है वहां से हर रोज चार ट्रेनें रायगढ़ आती हैं। औसतन हर रोज 200 यात्री रायगढ़ आते हैं। हालांकि ये यात्री रिजर्वेशन टिकट पर सफर करते हैं लेकिन रायगढ़ रेलवे या स्वास्थ्य विभाग के पास इसकी कोई जानकारी नहीं होती है। ऐसे में जरा सी चूक से कोई भी एक संक्रमित सुपर स्प्रेडर बन सकता है। जिले में सबकुछ अनलॉक है इसलिए पड़ोस या परिचितों को भी लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री का पता नहीं होता है, ऐसे में मामूली एहतियात से ही बड़ा खतरा टल सकता है।
रेलवे के स्टाफ भी नहीं लगाते हैं मास्क
शहर से 32 ट्रेनें गुजरती हैं। इन ट्रेनों में अलग-अलग राज्यों से हजारों लोग सफर करते हैं। टिकट जांच करने के दौरान भी टीटीई ना तो मास्क पहनते हैं और ना ही डिस्टेंसिंग जैसा कोई उपाय बरता जा रहा है। अफसरों दौरे पर हों तो स्थानीय स्टाफ फेस शील्ड, हेयर कैप जैसे तमाम संसाधनों से लैस रहते हैं लेकिन यात्रियों के संपर्क में आने के बाद भी कोई इन नियमों का अभी पालन नहीं कर रहा है।
तबीयत खराब है तो ना करें सफर
"स्वास्थ्य के लिए राज्य सरकारें ही गाइडलाइन जारी करती है। इसी का हम हमेशा पालन करते हैं। पुराने नियमों का पालन किया जा रहा है। लोगों की ये नैतिक जिम्मेदारी भी है कि यदि उनकी तबीयत खराब हो तो सफर ना करें। बाकी जिन भी अव्यवस्थाओं से आपने अवगत कराया है। सभी को सुधारने का प्रयास कर रहा हूं।''
-साकेत रंजन, सीपीआरओ, बिलासपुर जोन
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